कोर्ट में गवाही से पहले अकाउंट नंबर देना होगा

अनूप दुबे/भोपाल। नोटबंदी के बाद से ही सरकार लगातार तुगलकी फरमान ला रही है। इसी कड़ी में प्रदेश सरकार ने अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति (एट्रोसिटी एक्ट) के मामलों में गवाही देने वालों को भी झटका देने का आदेश जारी कर दिया गया है। अब तक इन मामलों में गवाह को नकद रुपए दिए जाते रहे हैं, लेकिन एक जनवरी, 2017 में रुपए उनके बैंक खातों में ही जमा कराए जाएंगे।

इसके लिए एसपी की मंजूरी होना जरूरी है। पुलिस मुख्यालय (पीएचक्यू) से प्रदेश भर के सभी जिलों के अज्ञाक एसपी को आदेश भी जारी कर दिए गए हैं। इससे जहां गवाहों को फौरी मदद नहीं मिल पाएगी, वहीं अब उन्हें न्याय दिलवाने के पहले बैंक खाता नंबर पुलिस को देना होगा।

यह थी व्यवस्था
एट्रोसिटी एक्ट मामले में गवाही देने वाले को कलेक्टर गाइड लाइन के अनुसार 195 रुपए प्रतिदिन की मजदूरी, 100 रुपए खाना भत्ता और द्वितीय या तृतीय श्रेणी का किराया दिया जाता था। विवेचना अधिकारी (आईओ) गवाही पर आने वाले को तत्काल यह रुपए दे देता था, लेकिन अब वह गवाह को नकद रुपए नहीं दे पाएगा।

गवाही के बाद आईओ उसका खाता नंबर और ब्रांच का कोड भरकर उसका प्रकरण बनाकर एसपी को भेज देगा। वहां से पास होने के बाद ही उसके खाते में रुपए पहुंच पाएंगे। वर्ष 2015 में अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के तहत करीब 5 हजार अपराध दर्ज किए गए थे।

इनका कहना 
एट्रोसिटी एक्ट के मामले में अब गवाह को नकद रुपए न देकर उनके खाते में रुपए भेजेंगे। इसके लिए उन्हें खाता नंबर और बैंक की ब्रांच का कोड उपलब्ध कराना होगा।
दिनेश जोशी, डीएसपी अजाक थाना, भोपाल
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