होमगार्ड को समान काम समान वेतन के लिए हाईकोर्ट में याचिका

देहरादून। पुलिस महकमे के कांस्टेबल की तरह समान कार्य और समान मानदेय की वकालत करते हुए होमगार्डों ने नैनीताल हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। याचिकाकर्ता ने चंडीगढ़ में होमगार्ड के मानदेय को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बनाया है। हाईकोर्ट ने याचिका का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है।

याचिका में कहा गया है कि सिपाही की तरह उन्हें भी 700 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय मिलना चाहिए। राज्य में होमगार्ड को अभी रोजमर्रा 400 रुपये का मानदेय मिलता है।

उत्तराखंड में होमगार्ड की संख्या छह हजार चार सौ के करीब है। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने होमगार्ड दिवस पर मानदेय में 100 रुपये की बढ़ोतरी करने के साथ होमगार्ड की संख्या दस हजार तक पहुंचाने की घोषणा की थी। पंजाब, चंडीगढ़ और हिमाचल प्रदेश के होमगार्ड लंबे समय पुलिस कांस्टेबल के समान मानदेय दिए जाने की मांग को लेकर संघर्ष कर रहे है।

SC के फैसले के आधार पर हाईकोर्ट की शरण में
चंडीगढ़ हाईकोर्ट से खिलाफ फैसला आने के बाद होमगार्डों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा था कि यदि समान कार्य है तो होमगार्डों को समान वेतन ही मिलना चाहिए। उच्चतम न्यायालय के इसी आदेश को आधार बनाकर प्रदेश के होमगार्ड भी नैनीताल हाईकोर्ट की शरण में पहुंच गए है। हाईकोर्ट ने याचिका का संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार से छह सप्ताह में जवाब मांगा है।

पुलिस महकमे में भर्ती होने वाले सिपाही को करीब 21 हजार रुपये का वेतन मिलता है। उसी हिसाब से होमगार्ड भी 700 रुपये प्रतिदिन का मानदेय चाहते हैं।  
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