BJP के तीखे तेवर देख हड़ताली डॉक्टरों का यू-टर्न, अब काली पट्टी बांधेंगे

भोपाल। सीहोर में एक भाजपा नेता ने अपशब्द क्या कह दिए, डॉक्टरों ने आसमान सिर पर उठा लिया। अस्पताल में तड़पते मरीजों को छोड़कर जानलेवा हड़ताल शुरू कर दी। इस हड़ताल के कारण एक मासूम की मौत हो गई लेकिन डॉक्टरों का दिल नहीं पसीजा। दूसरे दिन जब भाजपा नेताओं ने डॉक्टरों के खिलाफ प्रदर्शन शुरू किया तो हड़ताली डॉक्टरों ने यूटर्न ले लिया। अब फैसला किया गया है कि भाजपा नेता की गिरफ्तारी तक काली पट्टी बांधकर इलाज करेंगे। 

भोपाल में हुई मेडिकल ऑफिसर एसोसिएशन बैठक में सीहोर जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉक्टर आनंद मोहन शर्मा ने जिले में स्वास्थ्य सेवाएं बिगड़ने की जानकारी एसोसिएशन के संरक्षक डॉक्टर ललित श्रीवास्तव, अध्यक्ष डॉक्टर माधव हरसाणी को दी। इसके बाद बैठक में निर्णय हुआ कि सभी जिला अस्पतालों सहित दूसरे अस्पतालों के डॉक्टर मेडिकल सर्जन डॉक्टर सुमन से बदसलूकी करने वाले भाजपा नेता जसपाल अरोरा की गिरफ्तारी नहीं होने तक काली पट्टी बांधकर काम करेंगे। इसके अलावा और रोजाना जिला अस्पताल में डॉक्टर प्रदर्शन करेंगे।

हड़ताल पर आपत्ति क्यों
इस तरह की हड़ताल सदैव आपत्तिजनक होतीं हैं। इसके कई कारण हैं। 
आरोपी भाजपा नेता के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गई है। अब लीपापोती नहीं हो सकती। कानून अपना काम कर रहा है। डॉक्टरों को दवाब बनाने के लिए हड़ताल नहीं करनी चाहिए। 
डॉक्टर समाज के उच्चशिक्षित और सभ्य नागरिक माने जाते हैं। वो जानते हैं कि भारत में लोकतंत्र है, भीड़तंत्र नहीं है। कानून है और अदालतें किसी नेता के दवाब में नहीं आतीं। यदि पुलिस कार्रवाई नहीं भी करती तो भारत में न्याय संस्थान हैं। डॉक्टर गरीब नहीं हैं जो वकील की फीस अदा नहीं कर पाएंगे। वो आरोपी को आसानी से सबक सिखा सकते हैं। यही नीतिगत मार्ग भी है। समाज का दुर्बल वर्ग यदि ऐसी हड़तालें करता है तो समझ आता कि उन्हे कानून का ठीक प्रकार से ज्ञान नहीं है, परंतु उच्च शिक्षित और सभ्य कहे जाने वाले डॉक्टरों से यह उम्मीद कतई नहीं की जा सकती। 
एक डॉक्टर के व्यक्तिगत अपमान के विरुद्ध सारे अस्पताल को बंद कर देना, मरीजों के इलाज से इंकार कर देना गैरकानूनी तो है ही, मानवता के प्रति सबसे बड़ा अपराध भी है। हड़ताल तब की जानी चाहिए जब कोई रास्ता शेष ना रहा हो। यदि किसी डॉक्टर को गाली देने वाले नेता को जेल भेजा जाना चाहिए तो उसी कानून के तहत मासूम की मौत की जिम्मेदार हड़ताल में मौजूद डॉक्टरों को भी जेल नहीं भेज दिया जाना चाहिए क्या ? 
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