
भारत को जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी की तरफ से 79,087 करोड़ रुपए का कर्ज बहुत ही मामूली 0.1 प्रतिशत की ब्याज दर पर दिया जा रहा है। गारंटर बनने के प्रस्ताव को अस्वीकार करते हुए वित्त मंत्रालय के एक सीनियर ब्यूरोक्रेट ने कहा कि महाराष्ट्र पर पहले से ही काफी कर्ज है, ऐसे में महाराष्ट्र सरकार के लिए यह मुमकिन नहीं होगा कि वह गारंटर बन सके।
वह बोले कि महाराष्ट्र का कर्ज पहले ही 3.56 लाख करोड़ रुपए से बढ़ चुका है और इसके अलावा मेट्रो प्रोजेक्ट, सार्वजनिक कार्यों आदि के लिए भी हम 65,032 करोड़ रुपए का कर्ज ले रहे हैं। ऐसे में जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी के लिए एक गारंटर की भूमिका निभाना महाराष्ट्र सरकार की क्षमता से बाहर है।
हालांकि, उन्होंने इस कर्ज के लिए जापान की तरफ से लिए जा रहे ब्याज को काफी मामूली कहा, लेकिन फिर भी वह गारंटर बनने से मुकर गए। वे बोले कि 50 साल के अंदर यह राशि जापान को वापस लौटानी होगी, ऐसे में हमें इस प्रस्ताव पर फिर से विचार करना होगा। आपको बता दें कि जापान के साथ हुए कर्ज समझौते के तहत रेल के डिब्बे, इंजन और सिग्नल के साथ-साथ बिजली प्रणाली जैसे सभी उपकरणों को जापान से आयात किया जाना तय हुआ है। सरकारी सूत्रों की मानें तो इस महत्वाकांक्षी परियोजना की शुरुआत 2018 के अंत तक शुरू हो जाएगी।