भोपाल। पढ़ाई का स्तर सुधारने के लिए दशकों से चल रही रस्साकशी अब बंद हो जाएगी। स्कूलों में पढ़ाई का स्तर नहीं सुधार पाई शिवराज सरकार ने अपना रिकॉर्ड सुधारने के लिए परीक्षा प्रणाली ही बदलने का मन बना लिया है। अब परीक्षा में केवल 16 प्रतिशत अंक लाने वाले छात्र को 33 प्रतिशत मान लिया जाएगा और वो 10वीं पास हो जाएगा।
9वीं कक्षा से सरकार सतत एवं व्यापक मूल्यांकन, सीसीई पैटर्न लागू करने की तैयारी कर रही है। इसके तहत माध्यमिक शिक्षा मंडल अब केवल 100 में से 60 फीसदी अंकों के लिए ही परीक्षा लेगा। शेष 40 अंक साल भर चलने वाली दूसरी गतिविधियों के लिए होंगे जो स्कूल के शिक्षक और प्रिंसिपल देंगे।
परीक्षा 6 विषय की, रिजल्ट 5 का
सीसीई प्रणाली में बेस्ट फाइव पद्धति लागू की जाएगी। इसमें छह विषयों की परीक्षा होगी पर ज्यादा नंबर लाने वाले पांच विषयों के अंक जोड़कर रिजल्ट तैयार किया जाएगा। दसवीं में दो विषयों मेंं सप्लीमेंटी भी देने का प्रावधान किया जा रहा है।
स्कूल के हाथ में 40 नंबर
नवमीं, दसवीं की मुख्य परीक्षा का रिजल्ट 100 अंकों के आधार पर ही बनेगा पर माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा ली जाने वाली परीक्षा का प्रश्नपत्र 60 अंकों का होगा। शेष 40 अंक तिमाही, छमाही और सहशैक्षिक गतिविधियों के होंगे। इसमें 20 फीसदी अंक तिमाही और छमाही परीक्षा के होंगे और 20 सहशैक्षिक गतिविधियों के होंगे। छात्र को सब मिलाकर 33 फीसदी अंक ही लाने हैं। उसे शैक्षिण गतिविधियों में 20 में से 20 अंक मिल जाते हैं तो परीक्षा में महज 16 फीसदी अंक लाने पर ही वह पास हो जाएगा। सह-शैक्षिक गतिविधियों में एनसीसी, बालरंग, खेल प्रतियोगिता, मोगली उत्सव आदि शामिल किया गया है। वहीं व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में संस्कृत को वैकल्पिक कर दिया है।
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सरकार ने सीसीई लागू करने के निर्देश दिए है पर यह कैसे और किस तरह लागू होगा। इसकी तैयारी माध्यमिक शिक्षा मंडल को करना है। वहीं प्रणाली लागू करेगा।
नीरज दुबे, आयुक्त स्कूल शिक्षा