15 दिन से लाइन में लगे थे किसान, BOI ने पैसे नहीं दिए, चक्काजाम

ऊन (खरगोन) | नोटबंदी के 55 दिन बाद भी कई बैंकों में उपभोक्ताओं को राशि नहीं मिल रही है। क्षेत्र के 40 गांवों के ग्रामीण उपभोक्ता बैंक ऑफ इंडिया की स्थानीय शाखा में 15 दिन से रुपए निकालने पहुंच रहे थे, किंतु हर बार उन्हें खाली हाथ लौटा दिया जाता था। उन्होंने मैनेजर से मिलने का प्रयास किया तो बैंक मैनेजर ऑफिस में नहीं मिले। सोमवार को ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा और रुपए न मिलने पर उन्होंने खंडवा-वडोदरा राजमार्ग पर प्रदर्शन करते हुए चक्काजाम कर दिया। 

करीब एक घंटे तक चले प्रदर्शन के दौरान मार्ग के दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई। पुलिस को स्थिति संभालनी पड़ी। इसके बाद दोपहर करीब एक बजे खरगोन एलडीएम से संपर्क कर 30 लाख रुपए ऊन बैंक में बुलवाए गए और प्रत्येक ग्राहक को 10-10 हजार की राशि वितरित की गई, तब खाताधारकों का गुस्सा समाप्त हुआ। 

बैंक की इस शाखा में 40 गांवों के करीब 25 हजार खाते संचालित होते हैं। मामले में ऊन बैंक प्रबंधक केसी गुप्ता ने कहा कि 8-10 दिन से बैंक में रुपयों की कमी बनी हुई है। ग्राहकों को समय पर राशि उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। रुपया नहीं मिलने से हालात बने। 

बैंककर्मी ठीक जवाब दे रहे हैं और न ही कैश। यहां सोमवार को बैंक पहुंचे खाताधारकों का गुस्सा फूट पड़ा। यहां 15 दिन से लोग चक्कर काट रहे हैं लेकिन उन्हें राशि नहीं मिल रही है। एक घंटा हाईवे जाम कर दिया। खरगोन से 30 लाख रुपए भेजे गए। तब लोगों का गुस्सा शांत हुआ। सभी को 10-10 हजार रुपए उपलब्ध कराए गए। 

सोमवार को बैंक ऑफ इंडिया की स्थानीय शाखा के बाहर जमा हजारों लोग सड़क पर उतर आए। गुस्साए लोगों ने चक्काजाम कर दिया। खंडवा-वड़ोदरा राजमार्ग के दोनों ओर वाहनों की कतार लग गई। एक घंटे से ज्यादा समय तक यातायात पूरी तरह ठप हो गया। पुलिस को स्थिति संभालनी पड़ी। एसडीओपी दिलीप बिलवाल, थाना प्रभारी ज्ञानु जायसवाल, नायब तहसीलदार राधेश्याम पाटीदार सहित पुलिस दल ने मौके पर पहुंचकर ग्रामीणों को समझाइश दी। बैंककर्मियों ने तत्काल खरगोन में वरिष्ठ अफसरों से संपर्क कर स्थिति की जानकारी दी। दोपहर करीब 1 बजे खरगोन से 30 लाख रुपए भेजे जाने के बाद मामले का पटाक्षेप हुआ। इसमें प्रत्येक खाताधारक को बैंक द्वारा 10-10 हजार रुपए उपलब्ध कराए गए हैं। 

कामकाज छोड़ बैंक की लाइन में लग रहे थे लोग 
ग्राम रायबिड़पुरा के महिमाराम शंकर मंडलोई, ऊन के नानूराम पाटीदार, सिनखेड़ी की सुकुबाई आदि ने बताया 15 दिन से कामकाज छोड़कर रुपयों के लिए सुबह से लाइन में लग रहे हैं लेकिन रोजाना खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। 

रोज वसूली पर चले जाते हैं मैनेजर 
नोटबंदी के बाद बैंक में ग्राहकों की समस्या सुनने वाला कोई वरिष्ठ अफसर नहीं रहता। ग्राहकों के मुताबिक यहां पदस्थ बैंक प्रबंधक केसी गुप्ता रोजाना बैंक तो आते हैं, लेकिन आने के बाद सीधे वसूली के लिए निकल जाते हैं। ऐसे में ग्रामीणों की समस्या सुनने वाला कोई नहीं रहता। इस शाखा में 40 गांवों के करीब 25 हजार खाते संचालित होते हैं। ग्रामीणों ने बताया बैंक द्वारा देरशाम टोकन तो उपलब्ध करा दिया जाता है लेकिन दूसरे दिन रुपए लेने जाने पर नहीं मिल पाते। 

इनका कहना है 
8-10 दिन से बैंक में रुपयों की कमी बनी हुई है। ग्राहकों को समय पर राशि उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। रुपया नहीं मिलने से हालात बने। 
केसी गुप्ता, प्रबंधक, बैंक ऑफ इंडिया, शाखा ऊन 
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बैंक में कैश की किल्लत और प्रबंधक के नहीं आने से लोगों में आक्रोश था, इसीलिए उन्होंने चक्काजाम किया। स्थिति देखते हुए तत्काल खरगोन में एलडीएम से संपर्क कर रुपयों की व्यवस्था की गई। 
राधेश्याम पाटीदार, नायब तहसीलदार, सेगांव 

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