देहरादून। एक तरफ जहां हाईकोर्ट ने प्रदेश के तीन जिलों में शराबंदी का फैसला सुनाया है तो दूसरी तरफ देवभूमि पर मिनरल वाटर की फैक्ट्री का झांसा देकर सरकार शराब फैक्ट्री लगाने की तैयारी कर रही है. जैसे ही इस बात का खुलासा हुआ तो स्थानीय ग्रामीण विरोध पर उतर आए. श्रीनगर गढ़वाल से 17 किलोमीटर दूर देवप्रयाग विधानसभा के डडुवा गांव में शराब की फैक्ट्री स्थापित किये जाने की भनक पर ग्रामीणों ने इसके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है.
देवप्रयाग विधानसभा अंतर्गत कीर्तिनगर ब्लाक के डडुवा गांव में मिनरल वाटर की फैक्ट्री की जगह शराब की फैक्ट्री लगाने के शासनादेश पर ग्रामीण एकजुट होकर इसके विरोध में लामबंद हो गए हैं. खास बात यह है कि ग्रामीणों से जमीन का अधिग्रहण मिनरल वाटर लगाने की फैक्ट्री लगाने व स्थानीय बेरोजगार युवाओं को उसमें रोजगार देने के वायदे पर किया गया था.
ग्रामीणों में क्षेत्र के बेरोजगार युवाओं को दिल्ली-देहरादून व अन्य महानगरों में भटकने की बजाय तब अपने ही गांव में उद्योग स्थापित होने पर उसमें ही उन्हें रोजगार मिलने की आस जगी थी लेकिन ग्रामीणों के सामने असलियत सामने आने पर अब ग्रामीणों ने इसके खिलाफ विरोध का झंडा उठा लिया है.
18 अक्टूबर 2016 को जारी शासनादेश के माध्यम से दिल्ली की एक निजी कम्पनी को डडुवा गांव में औद्योगिक प्रयोजन से लगभग 4 हैक्टेयर भूमि पर शराब व बीयर फैक्ट्री लगाने के लिए भूमि आंवटित करने की अनुमति प्रदान की गई थी. शासनादेश की जानकारी देर से ग्रामीणों को मिलने के बाद इसका विरोध अब जाकर शुरू हो सका है.
प्रजामंडल पार्टी के संयोजक समीर रतूड़ी ने शासनादेश हासिल करने के बाद ग्रामीणों को इसकी जानकारी देकर उनके साथ धोखा किये जाने की जानकारी उन्हें दी. रतूड़ी द्वारा इस मामले पर ग्रामीणों से वार्ता कर डडुवा गांव में ही महापंचायत बुलाये जाने का निर्णय लिया गय. जिसपर महापंचायत में सर्वसम्मति से ग्रामीणों ने शराब फैक्ट्री के खिलाफ विरोध का फैसला लिया.
समीर रतूड़ी का कहना है कि रत्नागिरी कम्पनी ने ही जमीन को अधिग्रहीत कर ग्रामीणों को चेक के माध्यम से पैसे दिये हैं. उनका कहना है कि एकतरफ शासनादेश जारी कर शराब और बीयर फैक्ट्री स्थापित करने की बात कही जाती है तो दूसरी तरफ कीर्तिनगर तहसीलदार जमीन को मिनरल वाटर फैक्ट्री के लिए अधिग्रहीत करना बताते हैं, जो अपने आप में भ्रम की स्थिति पैदा करना है.
उनका कहना है कि इससे साफ जाहिर होता है कि राज्य सरकार ने किसी तरह चालबाजी जनता के साथ उसे गुमराह किया है. उनका कहना है कि जनता को बेवकूफ चाहे कम्पनी ने बनाया हो या फिर सरकार ने लेकिन शराब की फैक्ट्री खोलने के खिलाफ अब जनता विरोध कर रही है.
डडुवा ग्राम पंचायत के प्रधान सोबन सिंह पंवार का कहना है कि मिनरल वाटर की जगह शराब की फैक्ट्री लगाने के शासनादेश से वे बहुत दुखी हैं और जनता नहीं चाहती है तो ये फैक्ट्री नहीं लगने दी जायेगी. उनका कहना है कि अब शराब कम्पनी द्वारा लोगों को भड़काकर एक दूसरे से लड़ाने की साजिशें की जा रही हैं, जो बहुत गलत है.
ग्रामीण शौकीन लाल, इंदु देवी और गांव के ही युवा विनोद बंगवाल का कहना है कि किसी भी सूरत में शराब की फैक्ट्री को गांव में नहीं लगने दिया जायेगा. सरकार और शराब कम्पनी को चेतावनी देते हुए उनका साफ कहना है कि वे किसी भी कीमत पर शराब फैक्ट्री को स्थापित नहीं होने देंगे क्योंकि इससे समाज पर गलत असर पड़ने के साथ प्रदूषण भी होगा और उनके गांव का नाम भी बदनाम होगा.
इस मामले पर जहां स्थानीय ग्रामीणों में क्षेत्रीय विधायक व राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री, मंत्री प्रसाद नैथानी के प्रति भी खासा गुस्सा है .वहीं नैथानी का कहना है कि उन्हें इसकी जानकारी ही नही थी. उनके अनुसार ग्रामीणों के विरोध पर उन्हें इसकी जैसे ही जानकारी मिली तो उन्होंने मुख्यमंत्री से बात कर इसे न लगाये जाने की मांग की है.
उनका कहना है कि जनता और कम्पनी की आपसी सहमति व स्वीकृति से ही सब हो रहा था, लेकिन जब जनता नहीं चाहती तो शराब की फैक्ट्री को कैंसिल करवाया जायेगा.