फ्लेक्‍सी फेयर पर इतरा रहे थे रेल अफसर, अब ले रहे यूटर्न

नई दिल्‍ली। प्रमुख रेलों में 9 सितंबर को फ्लेक्सी फेयर सिस्टम लागू करने के बाद जब इसकी आलोचना हुई तो ताजा बुकिंग रिकॉर्ड पेश करके रेल अफसर खुद पर इतना रहे थे। दावा कर रहे थे कि इससे रेलवे को फायदा हुआ है और यात्री किराया चुकाने को तैयार हैं परंतु अब हालत पतली हो गई तो यूटर्न ले रहे हैं, लेकिन धीरे धीरे। कुछ इस तरह के ईगो हर्ट ना हो, भले ही रेलवे को थोड़ा नुक्सान और हो जाए। फिलहाल 10 प्रतिशत का समायोजन किया गया है। रिस्पांस नहीं मिला तो पूरा सिस्टम ही खत्म कर दिया जाएगा। 

रेलवे ने राजधानी, दूरंतों और शताब्‍दी जैसे वीआईपी ट्रेनों में फ्लेक्‍सी फेयर स्‍कीम को लागू किया था। इस स्‍कीम को लागू करने के बाद ट्रेनों में आखिरी समय में टिकट बुक करने पर 50 फीसदी तक महंगे हो जाते हैं। पर अब रेलवे इसमे बदलाव कर रहा है। बदलाव के बाद अब प्रीमियम ट्रेनों में रिजर्वेशन चार्ट बन जाने के टिकट की बुकिंग 40 फीसदी तक महंग होगी। रेलवे के मुताबिक अभी चार्ट तैयार होने के बाद खाली सीटें अब तक 1.5 गुना अधिक कीमत पर यात्रियों को बेची जाती थीं। पर अब यह 1.4 गुना ही होगा। 

9 सितंबर को फ्लेक्सी फेयर सिस्टम लागू होने के बाद से 31 अक्टूबर तक राजधानी, दूरंतो और शताब्दी एक्सप्रेस में 5,871 सीटें खाली रह गई क्‍योंकि कम दामों पर लोगों ने एयर टिकट बुक करवाए थे। नए नियम के मुताबिक अब अगर कोई रेल यात्री चार्ट तैयार होने के बाद सफर करना चाहता है तो उसे बेस फेयर से अधिकतम 40 फीसदी ज्‍यादा राशि का भुगतान करना होगा। पहले यह राशि 50 फीसदी थी। फ्लेक्सी फेयर स्कीम के तहत 10 फीसदी सीटें बुक होने पर टिकट के बेस फेयर में 10 फीसदी का इजाफा होता जाता है। यह फ्लेक्‍सी फेयर स्‍कीम स्लीपर, थर्ड एसी, सेकंड एसी, एसी चेयर कार में लागू है। अफसरों को उम्मीद है कि इससे खाली सीटें भर जाएंगी परंतु यदि ऐसा नहीं हुआ तो पूरा सिस्टम ही रिमूव करना होगा। 
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