
इस छूट का फायदा उठाने के लिए कई आरक्षकों ने पत्नी की नसबंदी करा कर ग्रीन कार्ड हासिल किया और भर्ती की लिखित परीक्षा में शामिल हुए ,लेकिन व्यापमं की गलती के चलते इस भर्ती में सिपाहियों के लिए आरक्षित 15 फीसदी कोटे को शामिल नहीं किया गया और लिखित परीक्षा में सफल आवेदकों की लिस्ट से ग्रीनकार्ड धारक सहित लगभग सभी सिपाही बाहर हो गए।
सिपाहियों ने व्यापमं में आपत्ती दर्ज कराई उसके बाद रिजल्ट में संशोधन किया गया और सिपाहियों के लिए 15 फीसदी आरक्षण का लाभ दिया गया। इस तरह ग्रीन कार्ड धारकों को सिपाही से थानेदार बनने का आखिरी मौका हासिल हो गया। प्रदेश में इस समय सूबेदार, उपनिरीक्षक और प्लाटून कमांडर के 863 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया चल रही है।
लगा सिपाही ही बने रह जाएंगे
हमने तो उम्मीद ही छोड़ दी थी कि सब इंस्पेक्टर परीक्षा में बैठने का मौका मिल पाएगा। सोचा था अब तो पुलिस आरक्षक बनकर ही रह जाएंगे। जैसे ही इस योजना के बारे में पता चला तो सबसे पहले पत्नी की नसबंदी कराई और ग्रीन कार्ड हासिल किया। उसके बाद सब इंस्पेक्टर परीक्षा में शामिल होने का मौका मिल गया।
मयंक शर्मा,आरक्षक
इनको मिलता है लाभ
पुलिस आरक्षक को यह लाभ तभी मिलता है, जब वह छह साल की पुलिस सर्विस पूरी कर चुका हो और उसके खिलाफ कोई गंभीर मामला जांच में ना हो।
प्रज्ञा रिचा श्रीवास्तव, एडीजी (पुलिस भर्ती व चयन)