नवीन नवाज/श्रीनगर। अपनी बेबाकी के लिए सुर्खियों में रहने वाले जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने सोमवार को कश्मीर की आजादी की वकालत करते हुए हुर्रियत कांफ्रेंस को पूरा साथ देने का ऐलान किया। हालांकि बाद में वह अपने बयान से पलट गए और कहने लगे कि आजादी से मेरा मतलब कश्मीरियों का हक है। हम कश्मीरी अवाम के साथ हैं। हुर्रियत का साथ भी तभी तक है, जब तक उसका रास्ता सही है।
अपने पिता स्वर्गीय शेख मुहम्मद अब्दुल्ला की 111वीं जयंती के मौके पर उनके मजार पर श्रद्घांजलि अर्पित करने के बाद नेकां कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए फारूक ने कहा कि आजादी की मंजिल आसान नहीं होती। कश्मीर का भारत में विलय मेरे वालिद शेख मुहम्मद अब्दुल्ला ने नहीं किया था। यह महाराजा हरि सिंह ने किया और इल्जाम शेख अब्दुल्ला पर लगाया। अगर पाकिस्तान हमला नहीं करता तो महाराजा कश्मीर को आजाद मुल्क बनाए होते। कश्मीर का विलय केवल तीन मुद्दों डिफेंस, कम्युनिकेशन और विदेश नीति पर हुआ था।
इसके साथ ही यह भी वादा किया गया था कि हालात ठीक होने पर कश्मीर में रायशुमारी कराई जाएगी। रायशुमारी में लोग जो फैसला करेंगे, उस पर अमल होगा। उन्होंने कहा कि हिंदोस्तान ने अपने वादों पर अमल नहीं किया, कश्मीरियों को उनका हक नहीं दिया और यहां से हिंदोस्तान से आजादी का आंदोलन शुरू हुआ। फारूक ने कहा कि पिछले पांच माह से कश्मीर के लोग सड़कों पर हैं क्योंकि उन्हें उनका वह हक नहीं मिला जिसका यकीन दिलाया गया था।