भारत में शरीयत अदालतों पर हाईकोर्ट की रोक

नईदिल्ली। मद्रास हाईकोर्ट ने आदेश दिया कि तमिलनाडु में मक्का मस्जिद नाम की मस्जिद से एक शरीयत अदालत नहीं चल सकती है। हाईकोर्ट ने कहा कि धार्मिक स्थल एवं पूजा स्थल केवल धार्मिक उद्देश्यों के लिए होते हैं। अदालत ने सरकार को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि ऐसे स्थलों पर कोई न्यायिक मंच नहीं हों और चार हफ्तों में स्थिति रिपोर्ट सौंपी जाए.

मुख्य न्यायाधीश संजय शिन कौल और न्यायमूर्ति एम सुंदर की पीठ ने ब्रिटेन के एक एनआरआई अब्दुल रहमान द्वारा दायर जनहित याचिका पर यह आदेश जारी किया। उन्होंने कहा कि राज्य में ‘मक्का मस्जिद शरीयत काउंसिल’ तथा इसी तरह के अन्य मंच के कारण बड़ी संख्या में निर्दोष मुस्लिम चुपचाप परेशानी सह रहे हैं और इनमें से कुछ न्यायिक मंचों की तरह काम कर रहे हैं। रहमान ने चेन्नई के मक्का मस्जिद शरीयत काउंसिल के कामकाज पर भी रोक लगाने का निर्देश देने की मांग की।

मद्रास हाईकोर्ट की पहली पीठ के न्यायाधीश संजय किशन कौल और न्यायाधीश एम. सुंदर ने कहा कि धार्मिक स्थान या पूजा के अन्य स्थान सिर्फ धार्मिक कार्यों के लिए होने चाहिए. ऐसे में राज्य सरकार यह सुनिश्चित करे कि आने वाले 4 हफ्तों में इस तरह की शरिया अदालतें बंद की जाएं.

हाईकोर्ट ने 4 हफ्ते बाद इस संबंध में एक स्टेटस रिपोर्ट फाइल करने का भी आदेश दिया है. रहमान के वरिष्ठ वकील ए. सिराजुद्दीन ने कहा कि जनहित याचिका बड़ी संख्या में मासूम मुस्लिमों के हितों की रक्षा के लिए दाखिल की गई है. तमिलनाडु में हजारों की संख्या में मुस्लिम शरिया कोर्ट के हाथों उत्पीड़न झेल रहे हैं.

उन्होंने कहा कि मैं स्वयं काउंसिल के फैसले का भुक्तभोगी रहा हूं. मैं पत्नी के साथ दोबारा रहना चाहता था, लेकिन मुझसे तलाक के दस्तावेज पर जबरदस्ती हस्ताक्षर करवाया गया और तलाक का फैसला हो गया.

इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम. सुंदर की पीठ ने इन अनाधिकारिक अदालतों को प्रतिबंधित करने का आदेश दिया है.
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