
चूंकि शनि कालपुरुष का दुख भी है अतः शनि की महादशा साढ़े साती ढैय्या अढैया सूर्य चन्द से शनि का भ्रमण मे प्रत्येक जीव को भयानक कष्टो का सामना करना पड़ता है। यदि महादशा भी खराब चल रही हो तो शनि महाराज जातक को त्रीव मानसिक तथा शारीरिक कष्ट भी देते है। जन्मकुंडली मे शनि के बिगड़ने मात्र से आदमी का जीवन दुखद हो जाता है, और यही ग्रह। सुधरने से जीवन सुखी हो जाता है।
कुंडली मे अशुभ शनि की स्थिति
लग्न मे बैठा शनि परिवार, व्यापार, वैवाहिक जीवन को प्रभावित करता है ।
चतुर्थ भाव मे बैठा शनि कर्मक्षेत्र को बिगाड़ता है।
पंचम भाव मे बैठा हुआ शनि सबसे ज्यादा अशुभ प्रभाव देता है।इसका अनुभव मैंने अपने जीवनकाल मे कई पत्रिकाओ में देखा है, ये शनि शिक्षा, सन्तान, परिवार, व्यापार, आर्थिक स्थिति को भी बिगाड़ता है इसका उपाय अवश्य करना चाहिए ।
आठवे शनि के कारण कर्मक्षेत्र, धन, व शिक्षा मे रूकावट आती है ।
दसम भाव मे बैठा हुआ शनि कर्मक्षेत्र मे सफलता दिलाता है परंतु मानसिक सुख और पारिवारिक जीवन मे अशांति लाता है ।
पत्रिका मे शनि यदि अशुभ भाव का स्वामी होकर जिन ग्रहो को देखेगा उससे सम्बंधित समस्या जरूर लायगा।
शनि ग्रह की सूर्य और चंद्र पर दृष्टि भी तकलीफ देती है ।
शनि शांति के उपाय
शनि महाराज सूर्य के पुत्र हैं अतः सूर्य पूजा करने वालों से वे प्रसन्न रहते है।
हनुमान जी को उन्होंने उनके भक्तो को कष्ट न देने का वचन दिया है अतः हनुमान सेवा से शनि पीड़ा दूर होती है।
हनुमान जी भगवान् सूर्य के शिष्य तथा सूर्य कुल नायक भगवान् श्रीराम के परम सेवक है, भगवान् श्रीराम ने अपने पारिवारिक जीवन मे दुखों का मर्यादा पूर्वक निर्वाह किया।
हम भी अपने पारिवारिक जीवन मे दुख पाते है, जो व्यक्ति रामायण का प्रतिदिन पाठ करता है पवनपुत्र हनुमानजी रामकथा सुनने अवश्य आते है और शनिदेव के कष्टो से मुक्ती दिलाते है, अतः रामकथा घर मे अवश्य करना चाहिए।
पीपल के वृक्ष के नीचे शनि के नामो का स्मरण करने से शनि पीड़ा शांत होती है ।
महाराज दशरथ कृत शनि स्त्रोत का पाठ करने से शनि पीड़ा से राहत मिलती है ।
कैसे बिगड़ते है शनिदेव
मदिरा पान करने से।
मांस मछली खाने से।
परपुरूष पर स्त्री सम्बन्ध से।
अपने माता-पिता व गुरु के अपमान से।
यदि आपके जीवन मे दुख है तो ये उपाय करे। और यदि सुखी है तो उपरोक्त काम न करे जिससे शनि महाराज आपको दंडित करे।
पंडित चन्द शेखर नेमा "हिमांशु "
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