
बिना इजाजत मोबाइल नंबर बंद करने पर उपभोक्ता फोरम ने मोबाइल कंपनी पर 10 हजार रुपए जुर्माना किया है। साथ ही एक हजार रुपए मुकदमें के खर्च के देने का आदेश दिया है। मामले के अनुसार, 3 साल पहले आईपीएस पवन देव ने दायर याचिका में कहा था कि कंपनी ने लापरवाहीपूर्वक बिना इन्फॉर्म किए उनका फोन नंबर बंद कर दिया, जिससे उन्हें मानसिक परेशानी हुई। कहा जा रहा है कि राज्य में यह अपनी तरह का पहला फैसला है।
आईपीएस के वकील शरद यादव ने बताया कि दिसंबर 2013 में मोबाइल कंपनी ने डाक्यूमेंट वेरिफाई करने के नाम पर सिम डिएक्टिवेट किया था। संपर्क करने पर नए सिरे से आईडी प्रूफ और अन्य दस्तावेज मांगे गए। सारे दस्तावेज देने के बाद भी कंपनी ने फोन नंबर को हमेशा के लिए बंद कर दिया। कंपनी का तर्क था कि उन्हें दस्तावेज नहीं मिले, जबकि देव ने दस्तावेज उपलब्ध कराने के सबूत दिए।
उपभोक्ता फोरम अध्यक्ष उत्तम कुमार कश्यप ने फैसले में कहा कि ट्राई नियमों व प्रावधानों के विपरीत कंपनी ने अनुचित आधारों पर मोबाइल कनेक्शन बंद कर दिया। यह कृत्य न केवल आपत्तिजनक है, बल्कि व्यक्ति की स्वंतत्रता का हनन भी है।