
अदालत ने कहा कि लोगों की जान बहुत कीमती है। जिस तरह से सड़कों के नेटवर्क का देश में विकास हो रहा है, उससे यह अर्थव्यवस्था का आंतरिक हिस्सा बनता जा रहा है। ऐसे में वाहन हादसों का आम लोगों पर बहुत ज्यादा असर पड़ता है।
सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि सिर्फ 2014 में देश के राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गो पर 2.37 लाख वाहन हादसे हुए थे। इन हादसों के चलते कम-से-कम 85,462 लोगों को जान से हाथ धोना पड़ा और 2.59 लाख घायल हो गए। इन आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2009 में सड़क हादसों के चलते दुनिया में सबसे ज्यादा मौत भारत में हुई थी। उस साल हर चार मिनट पर एक सड़क हादसा हुआ था।
अदालत ने कहा कि भारत जैसे देश में शराब पीकर गाड़ी चलाने के खिलाफ कानून को सही तरीके से लागू किया जाना बहुत जरूरी है, ताकि लोगों को अकाल मौत से बचाया जा सके।