जबलपुर। आयुर्वेद और यूनानी डॉक्टरों के द्वारा चुनिंदा 72 एलोपैथी दवाओं लिखने पर विधेयक पास होने के खिलाफ आईएमए अब कोर्ट जाएगा। आईएमए ने इसका विरोध करने रणनीति तैयार कर ली है। मालुम हो कि मप्र सरकार ने सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी को देखते हुए आयुर्वेद, यूनानी डॉक्टरों को चुनिंदा दवाएं लिखने का प्रशिक्षण देने के लिए विधेयक पास कराया है।
राजपत्र में प्रकाशित
मप्र आयुर्वेदिक, यूनानी और प्राकृतिक चिकित्सा व्यवसायी अधिनियम 1970 को संशोधित करके विधेयक पास किया गया। इसमें यह कहा गया है कि शासकीय सेवा में कार्य कर रहे आयुर्वेदिक, यूनानी और प्राकृतिक चिकित्सा से संबंधित ऐसे डॉक्टर्स जिनके पास स्नातक की डिग्री हो और जिन्होंने शासन द्वारा निर्धारित प्रशिक्षण लिया हो, वे एलोपैथी दवाएं लिख सकते हैं।
ये है उद्देश्य
एमबीबीएस डिग्री लिए डॉक्टरों की कमी होने से शासकीय अस्पतालों में डॉक्टर्स नहीं हैं।
प्रशिक्षण लेने के बाद इन डॉक्टरों को इस तरह के स्वास्थ्य केन्द्रों में पदस्थ किया जाएगा।
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क्रास प्रेक्टिस नहीं की जा सकती
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय है कि जिस विधा का डॉक्टर है उसे उसी विधा में प्रेक्टिस करनी होगी। क्रास प्रेक्टिस नहीं की जा सकती। आईएमए कोर्ट जाने की तैयारी कर रही है। आईएमए जल्द ही पीआईएल फाइल करेगी।
डॉ. आरके पाठक, प्रदेश सचिव, आईएमए
आयुष डॉक्टरों की उम्मीदें बढ़ीं
महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तरप्रदेश के बाद मप्र में ऐसे विधेयक पारित होने के बाद राजस्थान व छग के आयुष डॉक्टरों की भी उम्मीदें बढ़ी हैं। शासन को प्राइवेट प्रेक्टिस कर रहे आयुर्वेदिक डॉक्टरों को भी एलोपैथी दवाएं प्रेस्क्राइब करने की अनुमति देनी चाहिए।
डॉ. राकेश पाण्डेय, राष्ट्रीय प्रवक्ता, आयुष मेडिकल एसोसिएशन