भोपाल। राजधानी के हमीदिया अस्पताल के हालात सीएम शिवराज सिंह चौहान भी नहीं सुधार पाए। बड़े स्तर पर कार्रवाई का खौफ डॉक्टर और नर्सों में कतई दिखाई नहीं दिया। मेडिकल स्टाफ की दादागिरी और मरीजों की मौत का सिलसिला लगातार जारी है। संडे को एक नवजात, एक महिला और एक बुजुर्ग की संदिग्ध मौत हुई। महिला के परिजनों ने आपत्ति उठाई तो उनके खिलाफ एफआईआर करा दी गई।
सुनहरी बाग की निवासी राधेश्याम साहू ने अपने नवजात की मामूली सर्दी होने पर शुक्रवार रात 11 बजे हमीदिया की एसएनसीयू में भर्ती कराया था। साहू के मुताबिक शनिवार को बेटे को से एक्स-रे कराने के लिए खुद लेकर जाना पड़ा। रविवार सुबह डॉक्टरों से उन्होंने बच्चे से मिलने की जिद की पहले स्टॉफ ने हड़काया और फिर गार्ड ने धक्का देकर बाहर कर दिया। 10 मिनट बाद अंदर से खबर आई की सफेद कपड़ा ले आओ और बेटे को लेकर चले जाओ। अस्पताल के स्टॉफ ने मौत का कारण तक नहीं बताया और बदलसूलकी की।
बेटे का हाल पूछने पर नर्सों ने कहा ठीक है, दस मिनट बाद मौत
नवजात के पिता राधेश्याम ने बताया कि पत्नी ललिता ने काटजू में 3 दिसंबर को बेटे को जन्म दिया। शुक्रवार को ही उन्हें डिस्चार्ज किया था। बेटा अचानक रोने लगा तो वे वापस अस्पताल पहुंचे। यहां से बेटे को हमीदिया रेफर कर दिया। हमीदिया में डॉक्टरों ने को दो बजे एक्स-रे के लिए 300 मीटर दूर दूसरी बिल्डिंग में ले जाने का फरमान सुना दिया। यहां रिपोर्ट में बेटे को ठीक बताया। मन नहीं माना तो रविवार सुबह 8 बजे मिलने की कोशिश की। नर्सों ने कहा बेटा ठीक है। अचानक 10 मिनट बाद बताया गया कि उनका बेटा नहीं रहा। राधेश्याम का आरोप है कि उसके बेटे का ठीक से इलाज न होने से मौत हुई।
मेरी बेटी की फोटो मत छापना, डॉक्टर इलाज नहीं करेंगे
रायसेन का संजय नागले (परिवर्तित नाम) अपनी एक साल की मासूम को लेकर कमला नेहरू गैस राहत अस्पताल की पांचवी मंजिल पर 4 दिन से भर्ती है। रविवार दोपहर बेटी की हालत बिगड़ गई। नर्सों को तीन बार कहा फिर भी इलाज नहीं मिला। ज्यादा जोर देने पर कहा गया कि डॉक्टर तीसरी मंजिल पर हैं, वे पांचवी मंजिल पर नहीं आएंगे। आखिर घबराए पिता को बेटी को तीसरी मंजिल जाना पड़ा। प्रेस फोटोग्राफर से नागले ने कहा कि हमारी फोटो मत खींचो...यदि यह छप गया तो इलाज नहीं मिलेगा। राधेश्याम साहू के साथ ऐसा ही हुआ है।