जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने अपने पूर्व निर्देश की अवहेलना के रवैये को आड़े हाथों लिया। इसी के साथ खंडवा के कलेक्टर को स्वयं हाजिर होकर जवाब प्रस्तुत करने की सख्त ताकीद दे दी। इसके लिए 16 जनवरी की तिथि निर्धारित की गई है।
न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की एकलपीठ के समक्ष मामला सुनवाई के लिए लगा। इस दौरान याचिकाकर्ता खंडवा निवासी किरण दास खरारे की ओर से अधिवक्ता शक्ति कुमार सोनी ने पक्ष रखा। उन्होंने दलील दी कि 2012 में याचिकाकर्ता सेवानिवृत्त हो गया। पूर्व में वह जनपद पंचायत हरसूद में कार्यरत था। बाद में गृहनगर होने के कारण खंडवा तबादला करवा लिया। लेकिन उसकी मूल सेवा-पुस्तिका हरसूद में ही रह गई। 2012 में रिटायर होने पर बिना सेवा-पुस्तिका हरसूद से बुलवाए 90 प्रतिशत अंतरिम पेंशन लागू कर दी गई।
आगे चलकर कलेक्टर खंडवा ने प्रोवीजनल पेंशन को नियम विरुद्ध करार देकर रोक दिया। यही नहीं सभी दिए गए लाभों की रिकवरी का कठोर निर्देश भी जारी कर दिया। जिसके खिलाफ न्यायहित में हाईकोर्ट आना पड़ा। हाईकोर्ट ने नोटिस जारी कर कलेक्टर से जवाब मांगा, लेकिन बार-बार समय लेने के बावजूद कलेक्टर ने अब तक जवाब प्रस्तुत करने की जेहमत नहीं उठाई। यह रवैया हाईकोर्ट को नागवार गुजरा तो कलेक्टर को तलब कर लिया गया।
10 रुपए के शपथपत्र पर दर्द बयां किया-
रिटायर कर्मी ने 10 रुपए के नॉन ज्यूडीशयल शपथपत्र पर अपना दर्द बयां किया। हाईकोर्ट ने स्थिति की गंभीरता को समझा और कलेक्टर को हाईकोर्ट आकर जवाब देने कह दिया। यही नहीं अंतरिम राहत बतौर अविलंब प्रोवीजनल पेंशन शुरू करने कह दिया गया। हाईकोर्ट ने यह तल्ख टिप्पणी भी कि सेवा-पुस्तिका की रक्षा विभाग का दायित्व है न कि कर्मचारी का।