
संचालनालय ने इस संबंध में मानव अधिकार आयोग की उस अनुशंसा का भी हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि प्रवेश के समय छात्रों से उनके मूल दस्तावेज नहीं लिए जाएं। गौरतलब है कि संचालनालय ने कॉलेजों को 21 दिसंबर तक छात्रों को उनके मूल दस्तावेज लौटाने की समय सीमा दी है। अब इसी के साथ उन्हें नोटिस बोर्ड पर भी एंटी रैगिंग के निर्देश की तरह मूल दस्तावेज न लिए जाने की जानकारी भी लगाना अनिवार्य कर दिया गया है।
छात्र होंगे जागरूक
संचालनालय के अधिकारियों ने बताया कि नोटिस बोर्ड पर मूल दस्तावेज जमा न करने की जानकारी इसलिए लगान को कहा गया है ताकि छात्र भी जागरूक हो सकें। अब भी बहुत से छात्रों को यह जानकारी नहीं है कि कॉलेजों को मूल दस्तावेज उन्हें लौटाने की समय सीमा तय कर दी गई है। नोटिस पढ़ने के बाद वे अपने दस्तावेज मांग सकेंगे। अगर फिर भी कॉलेज दस्तावेज देने में आनाकानी करेंगे तो उनकी शिकायत भी कर सकते हैं। बड़ी संख्या में छात्रों ने सीएम हेल्पलाइन में भी इस मामले की शिकायत की थी।
कॉलेजों के पास मूल दस्तावेज जमा होने के कारण छात्रों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई बार वे अन्य परीक्षाओं और जॉब के लिए भी आवेदन नहीं कर पाते हैं। कॉलेज इसलिए छात्रों के दस्तावेज अपने पास रख लेते हैं जिससे वे बीच में ही कोर्स न छोड़ दें। इसलिए वे पूरे कोर्स की फीस लेने के बाद ही उन्हें दस्तावेज देते हैं जो कि नियम विरुद्ध है।