सेना में सब ठीक पर सवाल खड़ा कर दिया त्यागी ने

राकेश दुबे@प्रतिदिन। अगुस्टा वेस्टलैंड हेलिकॉप्टर सौदे में हुए घपले के मामले में आखिर पूर्व वायुसेना प्रमुख एस पी त्यागी गिरफ्तार कर लिए गए। इससे पहले स्थल सेना, वायु सेना और नौसेना के कई आला अफसरों पर तरह-तरह के आरोप लगे हैं, कई वरिष्ठ अधिकारी गिरफ्तार भी हुए हैं, लेकिन किसी सेना प्रमुख (मौजूदा या अवकाश प्राप्त) के गिरफ्तार होने की भारत में यह पहली घटना है।भारत के सैन्य ढांचे के लिए इससे बड़ी शर्मिंदगी भला क्या हो सकती है? भारतीय सेना के अनुशासन और प्रफेशनलिज्म की मिसालें पूरी दुनिया में दी जाती रही है। 

पड़ोसी देशों के मुकाबले हमारी सेना का इतिहास इसकी पुष्टि करता है। हमारी तीनों सेनाओं ने हमेशा मर्यादा के अंदर रहकर काम किया है। लेकिन इसका यह अर्थ लगाना गलत होगा कि सेना के अंदर सब कुछ हमेशा ठीकठाक ही रहता है, वहां किसी तरह की गड़बड़ी नहीं होती। बीच-बीच में सेना के अंदर गंभीर गड़बड़ियों की शिकायतें ही नहीं, सबूत भी मिलते रहते हैं। कभी किसी अधिकारी के जासूसी के रैकेट में शामिल होने के, कभी पुरस्कार के लिए फर्जी मुठभेड़ दिखाने के, तो कभी विमानों और युद्धपोतों के रख-रखाव में आपराधिक लापरवाही बरतने के।

ऐसे में इस बात की जरूरत हमेशा बनी रहती है कि राजनीतिक नेतृत्व सेना पर लगातार कड़ी नजर रखे और सैनिक नेतृत्व समय से गड़बड़ियों की पहचान करते हुए दोषी तत्वों के खिलाफ समुचित कार्रवाई सुनिश्चित करे। उदासीनता या लापरवाही का सिलसिला तब शुरू होता है जब राजनीतिक नेतृत्व अपने फायदे के लिए सेना के महिमामंडन में जुटा रहता है और सेना खुद को हर तरह की आलोचना से परे मानने लगती है। एक लोकतांत्रिक समाज में किसी भी संस्था को कानून से ऊपर या आम जनता की आलोचना से परे मानने की प्रवृत्ति उस संस्था की गिरावट का ही कारण बनती है। सेना के मामले में यह बात खास तौर पर लागू होती है।गड़बड़ियों का पकड़ा जाना और दोषी पाए जाने वालों को दंडित किया जाना ही सेना को पाक-साफ रखने का इकलौता तरीका है। 

अगर भारतीय सेना में इस तरह के घपले पकड़े जा रहे हैं तो क्या पाकिस्तानी फौज में सबकुछ अच्छा ही अच्छा होगा? लेकिन वहां सेना के घोटालों की खबरें बाहर नहीं आतीं तो इसका कारण यह है कि वहां की सेना तमाम आलोचनाओं और दंडात्मक कार्रवाइयों से ऊपर जा चुकी है। दूसरे शब्दों में कहें तो पाकिस्तानी सेना का महिमामंडित स्वरूप वहां के कमजोर राजनीतिक नेतृत्व का प्रमाण है। अफसोस की बात है कि इधर अपने देश में भी ऐसी प्रवृत्ति दिखने लगी है। अगुस्टा वेस्टलैंड मामले के दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी ही चाहिए, लेकिन इसके साथ ही सेना को अन्य भारतीय संस्थाओं की ही तरह देखने की शुरुआत भी होनी चाहिए।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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