6वां वेतनमान: 98 में नियुक्त 2 अध्यापकों के वेतन में 8000 का अंतर

भोपाल। छठवें वेतनमान की गणना अध्यापकों के लिए समस्या बन गई है। नवंबर माह की तनख्वाह हाथ में आई, तो राशि में भारी अंतर की बात सामने आई। साथ ही स्पष्ट हुआ कि बाबू अपनी समझ से वेतन तय कर रहे हैं। राजधानी से सटे दौराहा कस्बे (सीहोर) में वर्ष 1998 में नियुक्त दो सहायक अध्यापकों के वेतन में 7,803 रुपए का अंतर आया है। एक किमी की दूरी पर बैठे बाबुओं ने ये वेतन तय किया था। ऐसे एक-दो मामले नहीं, बल्कि ये दिक्कत प्रदेश में पौने दो लाख अध्यापकों के वेतन में आई है।

अध्यापकों को अक्टूबर से छठवें वेतनमान का लाभ दिया गया है। वेतन गणना पत्रक की टेबल समझ न आने के कारण पहले महीने किसी भी जिले में वेतन नहीं बनाया जा सका था। जिला शिक्षा अधिकारियों ने लोक शिक्षण संचालनालय से मार्गदर्शन मांगा। तब कहीं अध्यापकों को नवंबर माह में नया वेतन मिला, लेकिन वेतन की गणना में बाबुओं ने जो खामियां कीं, उनसे नई समस्या खड़ी हो गई। हर संकुल में वेतन की अलग से गणना हुई है। इस कारण 3 से 9 हजार रुपए तक का अंतर आ गया है। प्रदेश में 2.85 लाख अध्यापक हैं।

ये है मामला
वर्ष 1998 में नियुक्त भीकम सिंह राजपूत और जगदीश ठाकुर 2007 में सहायक अध्यापक बने। राजपूत का वेतन बालक हायर सेकेंडरी स्कूल दौराहा (सीहोर) और ठाकुर का वेतन कन्या हायर सेकेंडरी स्कूल दौराहा संकुल से बनता है। दोनों संकुल में एक किमी की दूरी है। फिर भी राजपूत का 23 हजार 382 और ठाकुर का 31 हजार 185 रुपए वेतन तय हुआ। अहमदपुर संकुल के मोतीपुरा मिडिल स्कूल के अध्यापक का वेतन 34 हजार 335 रुपए तय हुआ है, तो पीलूखेड़ी मिडिल स्कूल के अध्यापक का 37 हजार 935 रुपए।

अभी दे दो, बाद में देखेंगे
सब पता होने के बाद भी संचालनालय से जिला स्तर तक के अफसरों ने वेतन गणना में गड़बड़ी पर ध्यान नहीं दिया क्योंकि सामने विधानसभा के शीतकालीन सत्र था। अफसरों को डर था कि नवंबर का वेतन भी नहीं मिला, तो मामला विधानसभा में उठ जाएगा। अफसरों का कहना था कि अभी दे दो, बाद में देखेंगे। ज्यादा दिया होगा, तो वसूली कर लेंगे।

बालाघाट में बना दी प्राचार्यों की कमेटी
बालाघाट में अध्यापकों का वेतन तय करने के लिए डीईओ ने दो संकुल प्राचार्यों की कमेटी बना दी, जो गणना पत्रक के इतर वेतन तय कर रही है। कमेटी ने कुछ अध्यापकों का ग्रेड-पे तक कम कर दिया है। जबकि ग्रेड-पे शासन तय करता है, जो कम या ज्यादा नहीं किया जा सकता है।

इनका कहना है
गणना पत्रक को समझने में गलती हो रही है। ऐसे कई मामले हमारे सामने आए हैं। हम एक सप्ताह में इसे लेकर मार्गदर्शन जारी करेंगे। जो भी गड़बड़ियां हुईं हैं, उनका परीक्षण कराया जाएगा।
दीप्ति गौड़ मुकर्जी, प्रभारी एसीएस, स्कूल शिक्षा विभाग
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