
गौरतलब है कि 1984 के दंगा पीड़ितों को नौकरी, 5 लाख रूपए का मुआवजा और रहने के लिए मकान देने के लिए पंजाब सरकार बहुत पहले ही वादा की थी। लेकिन वो आजतक पूरी नहीं हुई है और अब सरकार अपने वादे से भाग रही है।
पंजाब के 1984 दंगा पीड़ित के प्रधान सुरजीत सिंह ने बताया के 1984 में दिल्ली में सिख दंगों में हजारों सिखों का बेरहमी से कत्ल किया गया था और उनकी प्रॉपर्टी को लूट कर आग लगा कर उन्हें कंगाल बना दिया गया था। आज 32 वर्ष बीत जाने के बाद भी हम लोगों को न्याय नहीं मिला। कांग्रेस सरकार ने तो हम को लूटा है पर पंजाब सरकार ने भी 5 लाख रुपया मुआवजा, रहने के लिए मकान और परिवार में से एक को सरकारी नौकरी देने का जो वायदा किया था,वह भी पूरा नहीं किया।
अब हमने करो या मरो की लड़ाई शुरु कर दी है और यदि 24 घंटे के भीतर हमारी इन मांगों को ना माना गया तो हमारे इस्त्री विंग की 5 औरतें चंडीगढ स्थित मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की कोठी के बाहर जाकर आत्मदाह करेंगी और यह धरना और आत्मदाह तब तक जारी रहेगा जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं हो जाती।