
इस फैसले से कॉलेजों में चलने वाले स्ववित्त (सेल्फ फाइनेंस) कोर्स यानी जो केवल छात्रों की फीस के जरिए ही संचालित हो रहे हैं, उन पर संकट आ गया है। अब जिन कोर्सेस में कम प्रवेश होंगे उन्हें या तो बंद करना होगा या फीस बढ़ानी होगी। अन्य कॉलेजों की गेस्ट फैकल्टी भी इस आदेश को नजीर बनाकर उक्त वेतन की मांग कर सकती है।
स्ववित्त योजना में संचालित हैं ये कोर्स
सरकारी कॉलेजों में बीबीए, एमबीए, बीसीए, पीजीडीसीए, एमएससी के माइक्रोबायोलॉजी, बायोटेक्नोलॉजी, फूड टेक्नोलॉजी सहित कुछ अन्य प्रोफेशनल कोर्स स्ववित्त योजना से ही संचालित हैं। इन कोर्सेस को पढ़ाने नियमित शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की जाती है। छात्रों से जो फीस आती है उससे ही अतिथि विद्वान (गेस्ट फैकल्टी) को मानदेय दिया जाता है।
अभी दिए जाते हैं 12 हजार
प्रदेश के उच्च शिक्षा विभाग के नियमों के तहत वर्तमान में 40 मिनट के एक पीरियड के 200 रुपए देने का प्रावधान है। एक शिक्षक एक दिन में अधिकतम 3 पीरियड ले सकता है यानी 600 रुपए रोज। महीने में अधिकतम 20 दिन कक्षाएं लगती हैं। ऐसी स्थिति में एक शिक्षक के हाथ महीने में औसतन 12 हजार रुपए आते हैं। जबकि यूजीसी की गाइड लाइन के अनुसार एक शिक्षक को एक माह में न्यूनतम 25 हजार मानदेय देने का प्रावधान है।
फैकल्टी की याचिका पर निर्देश
ग्वालियर के शासकीय कमलाराजा गर्ल्स कॉलेज, विजयाराजे सिंधिया गर्ल्स कॉलेज तथा साइंस कॉलेज में सत्र 2014- 15 में पढ़ाने वाले गेस्ट फैकल्टी की याचिका पर ये निर्देश दिए गए हैं।
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कोर्ट के आदेश से कॉलेजों में कोर्स बंद होने का संकट पैदा हो गया है। इससे हमने शासन को अवगत करा दिया है। अदालत में भी अपील प्रस्तुत की है जिस पर अभी सुनवाई होना है।
-प्रो. एचएस श्रीवास्तव, क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक उच्च शिक्षा