13 व 14 दिसम्बर को आसमान में होगी खगोलीय आतिशबाजी | BY BY 2016

रमेश चंद्रा/नैनीताल। वर्ष 2016 की विदाई रोमांचक खगोलीय घटनाओं से होगी। आसमानी आतिशबाजी, सुपरमून और धूमकेतु की चमक इस महीने का खास आकर्षण होगा। साल का सबसे छोटा दिन भी देखने को मिलेगा। धूमकेतु होंडा वर्ष के अंतिम दिन सूर्य के सर्वाधिक करीब होगा। इसकी चमक नववर्ष के पहले पखवाड़े में अधिक शानदार देखने को मिलेगी।

खगोलीय घटनाएं साल को विदाई देने आएंगी। इन दिनों आसमानी आतिशबाजी यानी उल्का वृष्टि चल रही है, जो 13 व 14 दिसंबर को अपने चरम पर रहेगी। इस उल्कावृष्टि का नाम जेमिनीड्स है। यह खगोलीय घटना सात दिसंबर से शुरू हो गई थी, जो 17 दिसंबर तक जारी रहेगी। चरम अवस्था के दौरान जलती उल्काओं को रोशनी की बाधा के कारण अधिक संख्या में देख पाना संभव नहीं होगा।

वैज्ञानिकों का मानना है कि जलती उल्काओं को 10 से 20 तक की संख्या में ही देख पाना संभव होगा। चमकते हुए चंद्रमा की रोशनी इस रोमांचक घटना को देख पाने में बाधा डालेगी। जेमिनीड्स शॉवर 13 को मिथुन व 14 दिसंबर को वृष तारा समूह से देखने को मिलेगी। इस घटना के बीच ही इस वर्ष का अंतिम सूपरमून देखने को मिलेगा। 14 दिसंबर को खिला हुआ चांद अपनी खुबसूरती बिखेरता नजर आएगा। इस दिन वह सुबह के समय पृथ्वी के सर्वाधिक निकट से गुजरेगा।

इस घटना के बाद 21-22 दिसंबर को वर्ष का सबसे छोटा दिन आएगा। समय की गणना के लिहाज से यह दिन महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके बाद साल को विदा कहने के लिए धूमकेतु होंडा 31 दिसंबर को सूर्य के सबसे करीब पहुंचेगा। नजदीक से गुजरने के बाद इसकी चमक काफी बढ़ जाएगी। जिसे नववर्ष के पहले पखवाड़े में बायनाकूलर की मदद से देखा जा सकेगा। इस दौरान इसकी चमक छह मेग्नीट्यूट हो जाएगी।

धूमकेतु का पूरा नाम 45 पी-मर्कोस पाज्डुकोवा है। होंडा वृहस्पति ग्रह परिवार का सदस्य है। इसकी कक्षा चपटी है। सूर्य का चक्कर लगाने में इसे 5.25 साल का समय लगता है। इसकी खोज तीन दिसंबर 1948 को हुई थी। पिछली बार वह पृथ्वी के सबसे नजदीक से 90 लाख किमी की दूरी से गुजरा था। इस बार के फेरे में यह दूरी बढ़कर 1.20 करोड़ किमी हो जाएगी।

रोमांच के साथ शोध के लिए भी महत्वपूर्ण
आर्यभटट् प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के खगोल वैज्ञानिक डॉ शशिभूषण पांडे व भारतीय तारा भौतिकी संस्थान बंगलुरु के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो आरसी कपूर के मुताबिक इस बीच होने जा रही खगोलीय घटनाएं बेहद रोमांचक हैं। साथ ही वैज्ञानिक शोध के नजरिए से भी महत्वपूर्ण हैं।
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