प्रजातंत्र में में सवाल करना हक है, राष्ट्रद्रोह नहीं: सिंधिया

लखनऊ। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया का कहना है कि प्रजातंत्र में सवाल करना राष्ट्रद्रोह नहीं हो सकता। ये हक है हमारा। इसके साथ समझौता नहीं हो सकता। उन्‍होंने कहा कि चौथे स्तंभ पर हमला नहीं होना चाहिए। हमारे यहां लिखा गया है कि कर्म करो फल की इच्छा न की जाए। हमें अपने काम की चर्चा नहीं करनी चाहिए।

पूर्व केंद्रीय मंत्री सिंधिया शनिवार को लखनऊ में 'हिन्दुस्तान शिखर समागम-2016'में सवालों का जवाब दे रहे थे। इससे पहले 'हिन्दुस्तान' के प्रधान सम्पादक शशि शेखर ने ज्योतिरादित्य सिंधिया का स्वागत किया। सवालों का जवाब देते हुए भ्रष्टाचार की बात पर सिंधिया ने कहा कि एक समय पर बीजेपी की तत्कालीन प्रवक्ता ने ही नोटों को बंद करने का विरोध किया था, लेकिन आज वही हो रहा है। इसके बारे में क्यों नहीं सोचा गया। आज ईमानदार आदमी परेशान है। लाइन में लगा है आदमी। इसको लागू करने पहले इसकी तैयारी पर विचार होना चाहिए था।

10 फीसदी के लिए 90 फीसदी को कर रहे परेशान
सिंधिया ने कहा कि भारत क्षमताओं का देश है लेकिन ये सिर्फ आर्थिक क्षमता भर नहीं है। हमारे मूल्यों की भी खास क्षमता है। उन्‍होंने कहा कि युवाओं और मूल्यों का संगम ही हमारे देश को आगे ले जायेगा। कांग्रेस नेता ने कहा कि विचारों का आदान-प्रदान ही देश की नींव है। मतभेद हो सकते हैं मनभेद न हो। स्वच्छ भारत की बात हमारे विचारों में होनी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि कश्मीर में जिन्दगी रुकी हुई है। यहां लाइन लगी हुई है नोटों के लिए। 10 फीसदी के लिए 90 फीसदी को परेशान किया जा रहा है।

शिक्षा ही नहीं नौकरी भी चाहिए
उन्होंने कहा कि केवल शिक्षा नहीं, हमें नौकरी भी चाहिए। वोकेशनल ट्रेनिंग देनी होगी। युवा धक्के खा रहे हैं। स्किल डेवेलपमेंट से नौकरी भी मिले। अच्छे दिन लाने का वादा करने वाली सरकार ने नौकरी का वादा किया पर लक्ष्य की पूर्ति नहीं हो सकी। उन्‍होंने कहा कि किसान का हाल देखो। इंजीनि‍यर का बच्चा इंजीनि‍यर बनना चाहता है लेकिन किसान का बच्चा किसान नहीं बनना चाहता। किसान खुदकुशी कर रहा है। महंगाई की तो बात नहीं करिये। पहले कहावत थी घर की मुर्गी दाल बराबर... आगे क्या कहा जाये।

देश के युवा और बुजुर्गों में मत बांटिए 
इस सवाल पर कि कांग्रेस क्या गीता के श्लोक की तरह चल रही है? उन्‍होंने कहा कि कुछ कमियां रही हैं इसीलिए कांग्रेस के साथ ऐसा हुआ, लेकिन अब हम काम कर रहे हैं। युवाओं को पार्टी में सही जगह मिलने की बात पर उन्‍होंने कहा कि मैं नहीं मानता कि देश को बुजुर्गों और युवाओं में बाँटना चाहिए। काम के हिसाब से जिम्मेदारी मिलनी चाहिए।

...तो अखिलेश के साथ गठबंधन क्‍यों नहीं
आपकी और अखिलेश यादव की जब एक ही सोच है तो गठबंधन क्यों नहीं? कांग्रेस नेता सिंधिया ने कहा कि एक सीएम अखिलेश यादव की बात नहीं है। वो पिछली बार कुछ और कह रहे थे और आज कह रहे हैं कि दिल्ली नहीं जाना चाहते। हमें आत्मा की आवाज सुननी चाहिए। जो सही है, वो सही है। जो गलत है वो गलत है।

अब वो बात कहां 
आप और अखिलेश क्या कभी देश के टॉप 10 मुद्दों पर साथ काम करना चाहेंगे? इस पर जवाब देते हुए उन्‍होंने कहा कि पहले एक वातावरण होता था। पहले नीतिगत आलोचना की जाती थी। व्यक्तिगत नहीं। पहले लोग गले मिलते थे लेकिन आज ऐसा नहीं है। मैंने पहले भी कहा मतभेद हो मनभेद न हो। इस सवाल पर कि संसद में अच्छा बोलने वाले कम हो रहे हैं? उन्‍होंने कहा कि मुझे बहुत भरोसा है देश पर। राजनीति नहीं जनसेवा होनी चाहिए। 

शुरुआत परिवार से करनी होगी
असहिष्णुता एकतरफा नहीं है, इस सवाल पर उन्‍होंने कहा कि हमें पॉलिटिक्स करना नहीं आता। हमने यही सोचा कि जो सही है, वही सही है, चाहे उससे राजनीति में कुछ नुकसान हो जाये। इस सवाल पर कि 32 साल के करियर में मूल्यों की स्थिति कहां पहुँची है? ज्‍योतिरादित्य ने कहा कि हमें अपने परिवार से शुरुआत करनी होगी। बच्चों को अच्छे मूल्य सिखाने होंगे। उन्‍होंने कहा कि जैन समाज के 2 नियम हैं'जियो और जीने दो' और 'क्षमा वाणी का पर्व',हमें इसे समझना होगा।

कृषि क्षेत्र में काम करना होगा
उन्‍होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में हमें काम करना होगा। फूड प्रोसेसिंग के लिए काम करना होगा। इससे किसान की अर्थव्यवस्था सुधरेगी। चंदेरी साड़ियों के बुनकरों के बच्चे इस काम में नहीं लगना चाहते थे लेकिन उसपर हमने काम किया और उन पर 16 साल के एक बच्चे ने अपना परचम लहराया। ऐसे कामों से जुड़ाव होना होगा। ट्रेनिंग होनी चाहिए। हमारे संसदीय क्षेत्र में इन सब पर काम हो रहा है। ( पढ़ते रहिए bhopal samachar हमें ट्विटर और फ़ेसबुक पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं।)

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