दूसरों को ईमानदारी का पाठ पढ़ाने वाला अफसर, काली कमाई का कुबेर निकला

Bhopal Samachar
मुरैना। बिजली कंपनियां सारी दुनिया को चोरी ना करने की सीख देतीं हैं। चोरी करने वालों को जेल भी भेज देतीं हैं। ऐसी कंपनी की विजिलेंस शाखा जो कर्मचारियों की हर छोटी चोरी पर बड़ी सजा देती है का डीजीएम सत्येन्द्र सिंह काली कमाई का कुबेर निकला है। उसे विदेश घूमने का शौक है। अपनी कार्रवाई के दौरान वो दूसरों के दिलों में दहशत भर देता था, जब लोकायुक्त का छापा पड़ा तो खुद का बीपी बढ़ गया। सत्येन्द्र सिंह के पास करोड़ों की काली संपत्ति का पता चला है। पूरी लिस्ट लोकायुक्त शीघ्र ही जारी करेगा। 

बुधवार सुबह 5:30 बजे उनके घर जब लोकायुक्त टीम ने डोर बेल बजाई तो डीजीएम को पता भी नहीं था कि दरवाजे दूसरी तरफ कौन खड़ा है। पत्नी ने दरवाजा खोला तो लोकायुक्त के अफसरों ने परिचय दिया। इसके बाद तो पूरे घर में हड़कंप मच गया। डीजीएम आनन-फानन में दूसरी मंजिल से पहली मंजिल पर आए। लोकायुक्त अफसरों को देखते ही पहले उन्होंने समझाने का प्रयास किया कि उनके पास कुछ नहीं है, लेकिन जब उन्हें साइड में बैठाकर अफसरों ने छानबीन शुरू कर दी तो अचानक उनका ब्लड प्रेशर (बीपी) हाई हो गया। जिस पर लोकायुक्त अफसरों ने उन्हें एक कमरे में बैठाकर अपनी कार्रवाई जारी रखी। लोकायुक्त को उनके घर से एफडीआर, एलआईसी के साथ कई म्यूचल फंड में निवेश के भी सबूत मिले हैं।

पत्नी के नाम आरओ प्लांट
बिजली कंपनी के अधिकारी का द्वारिकाधीश कॉलोनी में 2600 वर्ग फीट एरिया में आरओ प्लांट है, जो उनकी पत्नी के नाम है। वर्तमान में जगह की कीमत करीब 80 लाख रुपए है, जबकि इतना ही पैसा आरओ प्लांट लगाने में खर्च आता है। प्लांट में निर्मल नीर के नाम से पानी की बोतल व पाउच बनाए जाते हैं। साथ ही अन्य कंपनियों के लिए प्लास्टिक बोतल बनाने का प्लांट भी उन्होंने लगा रखा है।

जुलाई 2015 से मुरैना में पदस्थ
सत्येन्द्र सिंह वर्ष 2015 में बतौर एई (सहायक यंत्री) ग्वालियर में पदस्थ थे। पर 27 जुलाई 2015 को वह प्रमोट होकर डीजीएम विजिलेंस बिजली कंपनी होकर मुरैना पहुंचे थे। तब से लेकर अब तक वह इसी पद पर मुरैना में पदस्थ हैं। अभी उनका वेतन एक लाख आठ हजार रुपए प्रतिमाह है, जबकि नेट सैलरी 81 हजार रुपए है। ऐसा भी पता लगा है कि लोकायुक्त ने पहले मामला दर्ज किया फिर छापामार कार्रवाई की। ढाई साल पहले भी इनके खिलाफ शिकायत मिलने की सूचना है।

बैंक खाते कराए जाएंगे सीज
डीजीएम श्री सिंह के यहां से लोकायुक्त की टीम को 17 बैंक खाते मिले हैं। जिनकी 35 के लगभग पासबुक हैं। फिलहाल तो पासबुक से खातों में 4.5 लाख रुपए होना ही पता चल रहा है। लोकायुक्त पुलिस ने सभी बैंक को खाते सीज करने के लिए आवेदन भेज दिए हैं। लोकायुक्त पुलिस को खातों से काफी मात्रा में कैश मिलने संभावना है। इतना ही नहीं सभी बैंक को डीजीएम सत्येन्द्र सिंह के बैंक लॉकर होने की जानकारी भी मांगी है।

रात 2 बजे से अफसरों ने की तैयारी
एसपी अमित सिंह की निगरानी में सभी अफसर व जवान लोकायुक्त कार्यालय रात 2 बजे पहुंचे। यहां सारी तैयारियां की। टीम 4 बजे अलग-अलग गाड़ियों में भगवान कॉलोनी, द्वारिकाधीश कॉलोनी पहुंची। मकान व आरओ प्लांट की घेराबंदी कर दी, लेकिन सूर्य के निकलने का इंतजार किया गया। सही 5ः30 बजे जब सूर्य की लालिमा दिखी तो अफसरों ने डीजीएम के घर की डोर बेल बजा दी। कार्रवाई के दौरान डीजीएम व उनके परिवार के द्वारा लगातार लोकायुक्त टीम को चेतावनी दी गई कि यह गलत कर रहे हैं।
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