
यह तस्वीर उस मरे हुए सिस्टम की है जो हमारे और आपके लिए बनाया गया है। इस सिस्टम में बैठे लोग जिंदा होते हुए भी मुर्दा हो गये हैं। आये दिन इस तरह की तस्वीर देखने को मिल रही है. इससे साफ़ हो जाता है की इंसानियत पूरी तरह मर चुकी है। एक बेटा अपने पिता की लाश को घर तक ले जाने के लिए अस्पताल में बैठे जिम्मेदारों से शववाहन और एम्बुलेंस उपलब्ध करवाने की गुहार लगाता रहा, लेकिन किसी ने इस गरीब बेटे की मजबूरी नहीं समझी।
हमीरपुर जिले के मौदहा तहसील के भंभई गांव के रहने वाले राजू अपने 90 साल के बीमार पिता शिवाधार को लेकर मौदहा सामुदायिक स्वास्थ केंद्र गया था, जहां पर डॉक्टरों ने उसे गाली देते हुए हमीरपुर के लिए रेफर कर दिया। मजबूर बेटा अपने पिता को सरकारी एम्बुलेंस से हमीरपुर ले जा रहा था लेकिन रास्ते में ही उसके पिता की मौत हो गई। राजू ने एम्बुलेस चालक से पिता की मौत के बाद वापस ले चलने के लिए कहा लेकिन एम्बुलेंस चालक जबरदस्ती जिला अस्पताल हमीरपुर तक ले आया और वहीं छोडकर चला गया। जिला अस्पताल में मौजूद डॉक्टर ने भी शिवाधार को मृत घोषित कर दिया, लेकिन डेड बॉडी ले जाने के लिए कोई वाहन उपलब्ध नही करवाया।
राजू अपने पिता की लाश को लिए हुए घंटों तक अस्पताल के मुख्य गेट पर ही खड़ा रहा। डॉक्टर आते जाते रहे लेकिन किसी ने भी उसकी मदद नही की. लिहाजा राजू वहीं रोता बिलखता रहा और अंत में अपने पिता की लाश को कन्धों पर उठाकर घर चल दिया।