मप्र पुलिस हेलमेट के पीछे पड़ी है, लोग नशे में ड्राइविंग के कारण मर रहे हैं

भोपाल। मप्र पुलिस गांव गांव तक हेलमेट की जांच कर रही है जबकि नशे में ड्राइविंग के कारण मौतों के मामले में मप्र नंबर 1 पर आ गया है। पुलिस कभी कोई अभियान नहीं चलाती जिसमें पता लगाया जा सके कि कार या बड़े वाहनों का ड्रायवर नशे में है या नहीं। पांच साल में ऐसे हादसों में 21 हजार 325 लोगों की मौत हुई। ये खुलासा सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट में हुआ। नशे की हालत में हाइवे पर ड्राइविंग के दौरान हादसे और इसमें हुई मौत को लेकर देश के विभिन्न् राज्यों की वर्ष 2010 से 2014 तक की रिपोर्ट में मप्र के बाद दूसरे नंबर पर उप्र है, जहां 14 हजार 550 लोगों ने जान गंवाई।

देश के 11% एक्सीडेंट केवल मप्र में
परिवहन मंत्रालय की एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2015 में पूरे मध्यप्रदेश में 54 हजार 947 सड़क दुर्घटनाएं हुईं, इनमें 9 हजार 314 लोगों की मौत हुई, तो 55 हजार 815 लोग घायल हुए। दुर्घटनाओं के कुल मामलों में 17 प्रतिशत हादसे बेहद गंभीर थे। देशभर में होने वाली सड़क दुर्घटनाओं में से 11 प्रतिशत अकेले मप्र में होती हैं।

नेशनल हाईवे से ज्यादा जानलेवा हैं स्टेट हाइवे 
नेशनल हाइवे पर वर्ष 2015 में मप्र में 11 हजार 988 हादसे हुए, जिसमें 2287 लोगों ने जान गंवाई, तो 10 हजार 260 लोग घायल हुए। स्टेट हाईवे की बात करें तो यहां 13 हजार 166 हादसे हुए, जिसमें 2868 लोगों की जान गई, तो 17 हजार 647 घायल हुए।

ब्लेक स्पॉट भी वजह
रिपोर्ट बताती है कि मध्यप्रदेश से गुजरने वाले नेशनल हाइवे पर ब्लेक स्पॉट (दुर्घटना आशंकित स्थान) से भी हादसों की बड़ी वजह साबित हुए हैं। नेशनल हाईवे पर 54 ऐसे ब्लेक स्पॉट हैं, जो हादसों की वजह बनते है और आए दिन इसके चलते लोग गंभीर रूप से घायल तो जान भी गंवा देते है। नेशनल हाइवे पर ज्यादा ब्लेक स्पॉट वाले राज्यों में भी मप्र नंबर छह पर है।

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