रीति रिवाज से निकली बंदर की अंतिम यात्रा, पूरा गांव हुआ शामिल

कमलेश सारड़ा/ नीमच। आधूनिक युग की इस भाग-दौड़ भरी जिंदगी में जहां इंसान को इंसान से बात करने की फुर्सत नहीं। वहीं एक गांव ऐसा भी है। जहां के लोगों ने बंदर की चकड़ोल निकालकर मिसाल पेश की है। गांव के इकलौते बंदर की मौत पर पूरे गांव ने उसे अपने परिवार का सदस्य मानकर बैंड-बाजों के साथ चकड़ोल निकाली।

बकायदा वानर के सर पर साफा बांधकर चकड़ोल में बैठाया। ग्रामीणों ने बारी-बारी से चकड़ोल को कंधा दिया। गांव की गलियों में चकड़ोल निकाली तो पूरे गांव के लोगों ने नम आंखों से भगवान हनुमान स्वरूपी वानर के अंतिम दर्शन किए। साथ ही चकड़ोल में नारियल भेंट कर शोक व्यक्त किया। मुक्तिधाम पर हिन्दू रीति-रिवाजों के अनुसार बंदर के प्रार्थीव शरीर पर घी का लेपन किया गया। हिन्दू मंत्रोच्चार के साथ दाह संस्कार हुआ। 

जानकारी अनुसार 20 अक्टूबर शुक्रवार को ग्राम सरवानिया मसानी में कुछ दिनों अस्वस्थ्य गांव में रहने वाला इकलौता बंदर अचानक छलांगते समय पेड़ की शाखा से नीचे गिर गया था। जिससे उसकी मृत्यु हो गई। तभी पूरे गांव में बैठक रखी गई और निर्णय लिया गया कि यह गांव का इकलौता वानर है। साथ ही भगवान हनुमान स्वरूपी है। इसलिए सुबह होते ही इसकी चकड़ोल निकाली जाएगी। सभी ने निर्णय पर सहमती जताई। सुबह होते ग्रामीण वानर की चकड़ौल निकालने की तैयारी में जुट गए। फिर नम आंखों से पूरे गांव ने बंदर को विदाई दी। 

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