डेस्क। सरकारी मामलों में बड़े फैसलों में लापरवाही और मनमानी का यह मामला इतिहास में दर्ज हो गया है। तत्कालीन राष्ट्रपति ने एक महिला नर्स को केवल इसलिए पद्मश्री दिलवा दिया क्योंकि एक बार उसने राष्ट्रपति महोदय का बीपी चैक किया था। मजेदार तो यह है कि महिला नर्स के नाम वाली दूसरी महिला शिक्षक को इसलिए पद्मश्री दे दिया गया क्योंकि गलती से उसके यहां चिट्ठी पहुंच गई थी।
किस्सा 60 के दशक का है। आजादी के बाद प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने देशवासियों में प्रेरणा जगाने के लिए केंद्र सरकार की ओर से सम्मान दिए जाने का खाका बनाया। इसके तहत पद्मश्री, पद्मभूषण, पद्मविभूषण और भारत रत्न जैसे पुरस्कार तय हुए। मगर ये तय नहीं किया गया कि किस पुरस्कार के लिए क्या योग्यता जरूरी होगी। ऐसे में जिसे जो समझ में आया, उसने अपने तरीके से राष्ट्रीय स्तर के सम्मान दे दिए। हालांकि अपने क्षेत्र में वास्तव में अच्छा काम कर चुके लोगों के भी नाम शामिल किए जाते, किंतु अपेक्षाकृत उनकी संख्या कम होती।
एक बार देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने पद्मश्री पुरस्कार के लिए अपनी ओर से एक नाम भेजा 'दक्षिण की मिस लेजरस"। इस पर गृह मंत्रालय की एक टीम दक्षिण भारत में इस नाम की महिला को ढूंढ़ने में जुट गई। काफी मशक्कत के बाद चेन्न्ई की एक शिक्षिका मिलीं, जिनका नाम 'मिस लेजरस" था। गृह मंत्रालय ने तुरत-फुरत उन्हें पत्र भेजकर बता दिया कि आपको फलां तारीख को पद्मश्री दिया जाएगा।
मगर जब सम्मानित होने वालों की सूची हस्ताक्षर के लिए राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के पास गई तो वे नाराज हो गए क्योंकि उसमें उनके द्वारा बताई गई 'मिस लेजरस" का नाम नहीं था। घबराए अधिकारियों ने बताया कि सूची में शामिल शिक्षिका 'मिस लेजरस" ही हैं तो राष्ट्रपति बोले- लेकिन मैंने जिनका नाम दिया था, वह महिला तो नर्स है। सूची बिना हस्ताक्षर किए लौटा दी गई। अब हैरान-परेशान अधिकारी इस नाम वाली नर्स को खोजने लगे।
काफी खोजबीन के बाद पता चला कि एक नर्स हैं जिन्होंने राष्ट्रपति डॉ. प्रसाद का तब इलाज किया था, जब वे हैदराबाद से विजयवाड़ा के बीच रास्ते में थोड़े बीमार हो गए थे। तब 'मिस लेजरस" ने ब्लड प्रेशर जांचकर दवाइयां दी थीं। इस बार नर्स 'मिस लेजरस" को पत्र भेजा गया कि आपको पद्मश्री दिया जाएगा। मगर उलझन यह थी कि जिन शिक्षिका को पहले ही पत्र भेज दिया है, उन्हें अब मना कैसे करें?
जब राष्ट्रपति डॉ. प्रसाद को ये बात पता चली तो उन्होंने कहा- कोई बात नहीं 'मिस लेजरस" नामक इन दोनों महिलाओं को पद्मश्री दे दिया जाए। आखिरकार यही हुआ और तय दिन हुए समारोह में दोनों महिलाओं को 'पद्मश्री" अलंकरण से नवाजा गया।