आपूर्ति निगम और वेयर हाउसिंग आमने सामने: मामला 200 करोड़ का

भोपाल। नागरिक आपूर्ति निगम (नान) ने मप्र वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन के दो अरब रुपए रोक लिए हैं। नान का कहना है कि समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी के बाद उसे 30 जून तक गोदामों में रखवाते हैं। एक जुलाई के बाद जब उसे उठाना शुरू करते हैं तो प्रति क्विंटल पर एक किलो गेहूं ज्यादा मिलना चाहिए था जो वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन ने नहीं दिया। सात साल में यह राशि बढ़ते-बढ़ते दो अरब हो गई है। इधर, कार्पोरेशन ने विभाग को मेमोरेंडम दिया है कि यदि यह पैसा नहीं दिया गया तो छह माह बाद अफसरों व कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर मिलने वाली ग्रेज्युटी, प्रोविडेंट फंड और अन्य मदों का पैसा मिलना मुश्किल हो जाएगा। कार्पोरेशन की वित्तीय स्थिति गड़बड़ा गई है। 

कार्पोरेशन कहता है कि उच्च नमी के साथ गेहूं गोदामों में आता है। ऐसे में बारिश के बाद भी वह नमी ज्यादा नहीं बढ़ती तो कैसे एक किलो ज्यादा गेहूं दे दें। यह केंद्र सरकार का पुराना प्रावधान धान है। धान की भी यही हालत है कि 3 से 8 प्रतिशत तक नमी में कमी आती है लेकिन शासन सिर्फ 2 प्रतिशत ही मान्य कर रहा है। कार्पोरेशन के अधिकारियों व कर्मचारियों ने चेतावनी दी है कि यदि रोकी गई राशि नहीं मिली और प्रावधान सरल नहीं किए गए तो काम बंद हड़ताल पर जाना पड़ेगा। 

मप्र वेयर हाउसिंग एवं लॉजिस्टिक्स कार्पोरेशन फील्ड स्टॉफ एम्पलाइज एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप बिसारिया और एमपी वेयर हाउसिंग कार्पोरेशन कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल वाजपेयी का कहना है कि कार्पोरेशन की एकमात्र आय भंडारण शुक्ल से होती है। कहीं भी एक प्रतिशत गेन नहीं मिल रहा। दूसरी ओर विभाग के सूत्र बता रहे हैं कि ग्वालियर संभाग लगातार एक प्रतिशत गेन दे रहा है। बहरहाल, कर्मचारी नेताओं का कहना है कि नान ने 2014-15 और 2015-16 के क्लेम का अभी तक निर्धारण नहीं किया। धान के क्लेम तो पिछले आठ सालों से लंबित हैं। 
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