नईदिल्ली। एक जमाने में सिंहासन को आदेश देने वाली अजमेर की दरगाह से एक बार फिर सत्ता के लिए संदेशा आया है। सूफी संत ख्वाजा मोइनुदीन चिश्ती के वंशज एवं दरगाह के आध्यात्मिक प्रमुख दीवान सैयद जैनुल आबेदीन अली खान ने कहा कि कश्मीर के अलगाववादियों के खिलाफ देशद्रोह का मामला दर्ज कर इन्हें कश्मीर से खदेड़ने की कार्यवाही हो एवं बलूचिस्तान को आजाद कराने के लिए बांग्लादेश जैसी कार्रवाई की जाए।
दीवान ने आज जारी बयान में कहा कि इस देश का असली दुश्मन भले ही पाकिस्तान समर्थक आतंकी है लेकिन सच्चाई यह भी है की देश के भीतर जो अलगाववादी तत्व बैठे हुऐ है वे पाकिस्तानी आतंकियों से भी ज्यादा खतरनाक है।
दरगाह दीवान ने कहा कि विदेशी दुश्मनों से हमारी बहादुर सेनाएं लोहा ले सकती है लेकिन देशी गद्दारों से निपटना तब मुश्किल हो जाता है जब धर्म के नाम पर वोट की राजनीति की जाती रही हो और नौजवानों को धार्मिक कट्टरता के आधार पर गुमराही के अंधेरे में धकेलने की साजिशें खुलेआम रची जा रही हों।
कश्मीर में अलगाववादियों के खिलाफ अब आवाज उठने लगी है। खास तौर पर पाकिस्तान की एक घटना के बाद तो कश्मीरी लोगों को भी समझ आ रहा है कि भारत जैसी आजादी किसी देश में नहीं है। बलूचिस्तान पर प्रधानमंत्री के बयान का समर्थन करने वाले बलूच नेताओं पर पाकिस्तान ने कार्रवाई की है। उनके खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है।
दरगाह दीवान ने देश के सभी राजनैतिक दलों का आह्वान किया कि संसद में सर्व सम्मति से यह प्रस्ताव पारित किया जाए कि भारतीय सेना पाक अधिकृत कश्मीर पर कब्जे की निर्णायक कार्यवाही अमल मे लाऐ। उन्होंने कहा कि अब जरूरत इस बात की है कि जिस तरह तत्कालीन प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी ने बांग्लादेश की आजादी के लिये खुला सर्मथन दिया था उसी तरह वर्तमान सरकार को बलूचिस्तान की आजादी के लिये कदम उठाना चाहिये।