पाक: यह सब तो जरूरी था, हो गया

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राकेश दुबे@प्रतिदिन। पाकिस्तान के बारे मे भारत के दोनों फैसले सर्जिकल स्ट्राइक और सार्क में न जाना ,दूरगामी परिणाम देगा। इन फैसलों के तत्काल बाद बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने भी सार्क सम्मेलन से अपने को अलग करके आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में न सिर्फ सहभागिता दिखाई, बल्कि पाकिस्तान को ‘टेरर स्टेट’ घोषित किए जाने की तमाम देशों की मंशा के साथ भी मजबूती से खडे़ दिखाई दिए।

सार्क शिखर सम्मेलन का रद्द होना भारत के उस कड़े फैसले के साथ ही तय हो गया था, जब यह कहा गया कि न तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वहां जाएंगे, न ही भारत का कोई अधिकारी। सार्क की नियमावली कहती है कि यदि आठ सदस्यीय सार्क से एक भी सदस्य गैरहाजिर होता है, तो यह रद्द हो जाएगा। उरी के बाद भारत की यह पहली बड़ी कूटनीतिक विजय है, जब उसने पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशिश सफल रही। तीन पड़ोसियों ने जिस तरह इसे मुखर समर्थन दिया, वह आश्वस्त करता है कि पड़ोस की धरती से पनप रही आतंकवाद की बेल को काटने की भविष्य की यह लड़ाई उतनी भी कठिन नहीं है। भारत की इस कूटनीतिक चाल पर पाकिस्तान की प्रतिक्रिया खिसियानी बिल्ली जैसी है। उसने भारत के इस फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण भर कहा। इस लड़ाई में भारत के साथ बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान के खड़े होने को सिर्फ शुरुआत माना जाना चाहिए और पाकिस्तान के लिए एक चेतावनी भी। सार्क सम्मेलन पर खतरे के बादल तो सिर्फ एक प्रतीक है, दरअसल यह पाकिस्तान की मुश्किलों की शुरुआत है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह सिंधु जल समझौते पर बड़ी बैठक की, वह भी इस दिशा में एक बड़ा कूटनीतिक कदम माना जा रहा है। माना जा रहा है कि भारत पाकिस्तान को ‘मोस्ट फेवर्ड नेशन’ यानी तरजीही देश का दर्जा खत्म करने की पहल के साथ वह सब कर देना चाहता है, जो पाकिस्तान को कमजोर करने में सहायक हो। दरअसल, भारत पाकिस्तान के खिलाफ हर वह असैनिक उपाय आजमा रहा था और अब उसे यह बता दिया गया है भारत के संदेश कड़े भी हो सकते हैं। ये सारी बातें पाकिस्तान को विचलित करने, उसकी चिंता बढ़ाने वाली हैं। भारत हमेशा सौहार्द का पक्षधर रहा है, भारत की मंशा हमेशा की तरह इसे सार्थक करने की ही थी, पर पाकिस्तान अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आया और यह सब जरूरी था, जो हो गया।
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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