मोदी सरकार ने तोड़ दी अंग्रेजों के समय से चली आ रही परंपरा: रेल बजट

नई दिल्‍ली। भारत की संसद में अब कभी रेल बजट पेश नहीं किया जाएगा। मोदी कैबिनेट ने रेल बजट को आम बजट में पेश करने की अनुमति दे दी है। रेल बजट को अलग से पेश करने की परंपरा पिछले 92 साल से चली आ रही थी। अंग्रेजों के समय 1924 में सबसे पहली बार रेल बजट पेश किया गया था। 

ऐसे शुरू हुआ था रेल बजट का सफर
  • सर्वप्रथम 10 सदस्यीय एक्वोर्थ समिति की अनुशंसा पर 1924 में इसे पेश किया गया था।
  • ब्रिटिश सरकार द्वारा 1921 में रेलवे के वित्तीय प्रदर्शन में सुधार के लिए बनी जिस समिति के रिपोर्ट के आधार पर रेल बजट प्रस्तुत करने की अनुशंसा की गई थी उसके अध्यक्ष अर्थशास्त्री विलियम मिशेल एक्वर्थ थे।
  • 1924 में रेल का बजट भारत के आम बजट का लगभग 70 प्रतिशत था जो अब लगभग 14-15 प्रतिशत तक रह गया है।
  • देश के बजट में रेल बजट की इतनी अधिक हिस्सेदारी देखकर रेल बजट को आम बजट से अलग करने का विलियम का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया गया।
  • तब से लेकर अब तक रेल बजट को आम बजट से अलग पेश किया जाता है। उस समय रेल के लिए धन की व्‍यवस्‍था आम बजट में से किसी अन्‍य मंत्रालय की तरह ही की जाती थी।
  • आजादी के बाद नवंबर 1947 में जॉन मिथाई देश के पहले रेल मंत्री बने और आजाद भारत का रेल बजट पेश किया। रेल बजट का लाइव प्रसारण पहली बार 24 मार्च 1994 को किया गया था।
  • 2004 से 2009 के बीच रेल मंत्री रहे लालू प्रसाद यादव के नाम सबसे ज्‍यादा 6 बार रेल बजट पेश करने का खिताब है वहीं टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी भारत की पहली महिला रेल मंत्री बनी थीं।
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