भाजपा: आत्म मुग्धता से बाहर आयें

राकेश दुबे@प्रतिदिन। भाजपा के भीतर का लोकतांत्रिक स्वरूप भी धीरे-धीरे चरमराने लगा है। मीडिया में लगातार इस तरह की खबरें आ रही है कि अब संगठन के भीतर सिर-फुटौवल चल रहा है। हालांकि कोई भी भाजपाई इन बातों को औपचारिक रूप से नहीं स्वीकारेगा, लेकिन अनौपचारिक रूप से बिगड़ती दशा की बातें भाजपा के लोग ही कर रहे हैं।

भाजपा-संघ की गोपनीय बैठकों तक में भी पार्टी के नेता-कार्यकर्ता आपस में तू-तू-मैं-मैं कर रहे हैं। भाजपा के कुछ आत्ममुग्ध नेता अब भी पार्टी में 2014 की ही झलक देख रहे हैं। जिस लोकसभा चुनाव में मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस समेत सभी गैर भाजपा दलों की हालत खराब हो गई थी। क्योंकि किसी को यह अंदाजा नहीं था गोधरा कांड के ‘हीरो’ के नाम पर देश की जनता लामबद हो जाएगी।धीरे-धीरे लोगों की नजरों से यह ओझल भी होता जा रहा है। ठीक इसी तरह खुद को सुसंस्कृत पार्टी बताने वाली भाजपा जब तक सत्ता तक नहीं पहुंची थी तबतक सभ्यता-संस्कृति की दुहाई देकर अन्य दलों को नीचा दिखाना इनकी फितरत थी।

फिलहाल मामला उत्तर प्रदेश का हो या मध्य प्रदेश का अथवा गुजरात, पंजाब और उत्तराखंड का। इन सभी राज्यों में भाजपा की सांगठनिक इकाई चरमरा रही है। इन राज्यों में भाजपा दिग्गजों में जबर्दस्त मत्तभिन्नता है। फलस्वरूप हर दिग्गज एक दूसरे की टांग खींचने में लगा है। वहीं निचले दर्जे के कार्यकर्ता भी विभिन्न गुटों में बंटे अपने-अपने नेताओं के खेमे से जुड़कर अपने आका के लिए काम कर रहे हैं, ना कि पार्टी के लिए।

मध्य प्रदेश भाजपा की प्रदेश कार्यसमिति में पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का नाम शामिल नहीं होने के बाद पार्टी ने सफाई दी थी कि उनका नाम टाइपिंग मिस्टेक है। लेकिन नंदकुमार चौहान की टीम में प्रदेश के पूर्व संगठन महामंत्रियों माखन सिंह चौहान, अरविंद मेनन और भगवतशरण माथुर को भी स्थान नहीं मिला। जबकि दूसरे दलों से भाजपा में आए नेताओं को अधिक तरजीह दी गई। 

इसके अलावा गुजरात के सूरत में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की सभा में हार्दिक पटेल के समर्थकों ने जमकर हंगामा मचाया। पाटीदार राजस्वी सम्मान समारोह में पहुंचे भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को हार्दिक समर्थकों का जमकर विरोध सामना करना पड़ा। सूरत में पाटीदारों के बीच अच्छे संबंध बनाने गए अमित शाह और गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी को मायूसी का सामना करना पड़ा।

उन्हें उम्मीद भी नहीं होगी कि उन्हें इस तरह विरोध का सामना करना पड़ेगा। सभा के दौरान हार्दिक समर्थकों ने पहनी हुई टोपियां और बाद में कुर्सियां उछालकर विरोध दर्ज किया। विरोध का आलम ये था कि अमित शाह सिर्फ चंद मिनटों में अपना भाषण खत्म कर रवाना हो गए। भाजपा की केसरिया टोपी पहनकर सभा खंड में पहुंचे हार्दिक समर्थकों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया||इतना ही नहीं 8 सितम्बर को पाटीदार समाज और भाजपा के बीच होने वाले सौहार्दपूर्ण वातावरण में खटास आ गई। कार्यक्रम के लिए सूरत में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और गुजरात के मुख्यमंत्री के बीच स्वागत में पोस्टर लगाए गए थे। इन सबके सहारे भाजपा उत्तर प्रदेश और फिर अन्य प्रदेशो में झंडे गाड़ने का सोच रही  है। इसे आत्ममुग्धता नहीं तो और क्या कहा  जाये ?
श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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