
इस पूरे मामले पर उच्च स्तरीय बैठकों का दौर भी जारी है। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पर बड़ी संख्या में सेना की तैनाती से पाकिस्तानी सेना को नुकसान पहुंचाने की रणनीति है। पाकिस्तानी सेना लगातार जम्मू-कश्मीर में आतंकियों की घुसपैठ कराती रही है और उन्हें मदद करती है। आज होने वाले कई बैठकों में इस बात पर भी विचार किया जा सकता है कि क्या सेना को पाकिस्तान की सीमा के भीतर आतंकियों के ट्रेनिंग कैंपों पर हमले करने चाहिए।
सूत्रों का कहना है कि सरकार की रणनीति है है कि एलओसी पर तैनात आर्मी बटालियनों और पश्चिमी फ्रंट पर एयर फोर्स के बेस को अलर्ट पर रखा जाएगा। अगर कोई आपात स्थिति पैदा होती है तो कड़ा जवाब दिया जा सके।