पढ़िए, आज यदि इंदिरा गांधी होतीं तो क्या करतीं

रंजीत सिंह। जम्मू-कश्मीर के उरी में आतंकी हमले के बाद सरहद पर माहौल गर्म है। 18 जवानों की शहादत के बाद मोदी सरकार पाकिस्तान को जवाब देने की रणनीति बना रही है। केंद्र सरकार जो रणनीति बना रही है, वो सूत्रों के हवाले से मीडिया में आ रही है। इसके मुताबिक मोदी सरकार कूटनीतिक मोर्चे पर पाकिस्तान को अलग-थलग करने की कोशि‍श में जुटी है। क्योंकि बीते ढाई साल में मोदी सरकार ने पाकिस्तान के खि‍लाफ कोई कड़ा एक्शन नहीं लिया जिसकी जमीन से आए आतंकवादी आए दिन हमारे सुरक्षाबलों पर हमला करते हैं और बड़े पैमाने पर नुकसान झेलना पड़ता है लेकिन अगर आज इंदिरा गांधी जैसा प्रधानमंत्री होता तो हालात शायद अलग होते। इंदिरा कड़े मिजाज की थीं और उनके फैसले में आक्रामकता की झलक दिखती थी।

  • इंदिरा गांधी रणनीति बनाने में माहिर थीं और साहसी लीडर थीं।
  • वो सुरक्षाबलों के नेतृत्व पर हद से ज्यादा भरोसा करती थीं. उन्होंने हालात के मद्देनजर कार्रवाई करने के लिए सेना को खुली छूट दे रखी थी।
  • आर्म्ड फोर्सेज के लिए लक्ष्य तय होते थे।
  • स्ट्रेटजिक, ऑपरेशनल और टैक्टिकल लेवल पर प्लानिंग होती थी।
  • सेना के तीनों अंगों के बीच बेहतर समन्वय होता था।
  • गंभीर संकट के दौर में बिना अंतरराष्ट्रीय मदद के राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने की सोच इंदिरा में जन्मजात थी।
  • सामान्य दिनों में वो कोई फैसला लेने में हिचकिचाती थीं लेकिन संकट का समय आते ही कहां और कब वार करना है, उन्हें बखूबी पता होता था।
  • विदेशी दवाब उस समय भी होते थे लेकिन इंदिरा विदेशी दवाब की परवाह नहीं करतीं थीं। उनका मानना था कि यदि जीत गए तो दुनिया आपके साथ रहेगी। 


इंदिरा ने लिए थे ऐसे ही फैसले
बतौर प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का पहला कार्यकाल 1966 से 1971 तक रहा। इस दौरान भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 की जंग पूरी दुनिया ने देखी। ऐसे में अगर आज इंदिरा गांधी जैसा पीएम होता तो शायद पाकिस्तान से जंग शुरू हो गई होती। इतिहास इसका गवाह भी है। 30 जनवरी, 1971 को आतंकवादी इंडियन एयरलाइंस के एक विमान को हाइजैक कर लाहौर ले गए और इसे तहस-नहस कर दिया था। उस वक्त इंदिरा गांधी ने भारत से होकर आने-जाने वाली पाकिस्तान की सभी फ्लाइट्स तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करने का हुक्म दिया। इस यह फायदा हुआ कि अक्टूबर-नवंबर में जब संकट चरम पर था तो पाकिस्तान अपनी सेनाएं पूर्वी बंगाल में जुटाने में नाकाम रहा।

लौटा दिया था आर्मी चीफ का इस्तीफा
अप्रैल 1971 में इंदिरा गांधी ने तत्तकालीन आर्मी चीफ सैम मानेकशॉ से पूछा कि क्या वो पाकिस्तान से जंग के लिए तैयार हैं? इसपर मानेकशॉ ने कुछ दिक्कतों का हवाला देते हुए जंग के लिए तैयारी से मना कर दिया। मानेकशॉ ने तो इस्तीफे तक की पेशकश कर दी थी लेकिन इंदिरा ने उनका इस्तीफा कबूल करने से मना कर दिया। इसके बाद मानेकशॉ ने कहा था कि वो जंग में जीत की गारंटी दे सकते हैं, अगर पीएम उन्हें अपनी शर्तों पर तैयारी की इजाजत देती हैं और एक तारीख तय की जाती है। इंदिरा ने उनकी शर्तें मान लीं। हकीकत में इंदिरा उस वक्त की परेशानियों से वाकिफ थीं लेकिन वो सेना के विचारों से अपनी कैबिनेट और पब्लिक ओपिनियन को वाकिफ कराना चाहती थीं।

PAK के परमाणु ठिकानों पर हमले का प्लान!
इंदिरा गांधी ने 1980 में सत्ता में वापसी करने के बाद पाकिस्तान के परमाणु ठिकानों पर हमले का प्लान बनाया था। अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए ने करीब साल भर पहले यह खुलासा किया था। इंदिरा गांधी पाकिस्तान को परमाणु हथियार क्षमता हासिल करने से रोकना चाहती थीं। यह घटना 1981 की है। इंदिरा गांधी की अगुआई वाली भारत सरकार पाकिस्‍तान के परमाणु हथि‍यार जुटाने के प्‍लान को लेकर फिक्रमंद थी। भारत सरकार का मानना था कि पाकिस्‍तान परमाणु हथि‍यार हासिल करने से बस कुछ ही कदम दूर है।

...ऐसे में लगता है कि अगर आज इंदिरा गांधी देश की पीएम होतीं तो आतंकी हमले के 72 घंटे बीत जाने के बाद भी केवल बयानबाजी का दौर नहीं चलता रहता और पाकिस्तान के मामले में कोई बड़ा फैसला 24 घंटे के भीतर ही ले लिया गया होता। क्योंकि इंदिरा बोलने में कम, करके दिखाने में ज्यादा यकीन करती थीं।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !