
इस केस की जांच के लिए मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने एक एसआईटी का गठन किया था लेकिन एसआईटी घटना के तीन हफ्ते बाद तक केवल आरोपियों की सीसीटीवी फुटेज ही जारी कर पाई थी। हालांकि एसआईटी द्वारा आरोपियों की सूचना देने वाले को 10 लाख रुपए का इनाम देने की घोषणा भी की गई थी लेकिन इसका कोई सार्थक परिणाम सामने नहीं आया। इसके बाद एसआईटी की जांच विभिन्न अटकलों पर केंद्रित हो गई थी, जिसमें इस घटना में खालिस्तानी आतंकवादियों के शामिल होने की संभावना जताई गई थी।
हमले की जांच में जुटी पुलिस टीमों ने गगनेजा पर हमले की सीसीटीवी फुटेज हासिल कर ली थी। फुटेज में हमलावरों के चेहरे नकाबों से ढंके हुए पाए गए थे। पंजाब पुलिस ने इस फुटेज को जांच के लिये गुजरात की लैब में भेजा था। जालंधर पुलिस ने इस मामले शिवसेना के चार लोगों को गिरफ्तार कर पूछताछ शुरू की थी।
बताया जाता है कि पुलिस को अपने सूत्रों से इस गोलीकांड के बारे में कुछ सुराग हाथ लगे थे। इसके बाद पुलिस ने लुधियाना की जेल से शिवसेना के चार नेताओं को पूछताछ के लिए प्रोडक्शन वॉरंट पर ले लिया था लेकिन जांच में कुछ खास हासिल नहीं हो सका था। 25 अगस्त को इस केस को पंजाब सरकार ने जांच के लिए सीबीआई को सौंप दिया था।