
जस्टिस ईश्वरइया के मुताबिक, "ऐसा करने से ओबीसी की उन जातियों को न्याय मिल सकेगा, जो अभी तक आरक्षण के लाभ से वंचित हैं। वह दस जातियों और समुदायों के प्रतिनिधियों के साथ जन सुनवाई के बाद पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे।
ये जातियां खुद को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की सूची में शामिल किए जाने की मांग कर रही हैं। आयोग के अध्यक्ष के अनुसार, "अब समय आ गया है जब लोग खुद ही कुछ जातियों को ओबीसी की सूची से बाहर कराने या अन्य को उसमें शामिल कराने के लिए आगे आएं।
ताकि आरक्षण का लाभ सर्वाधिक पिछड़ों तक पहुंच सके।" उन्होंने कहा कि पिछड़ों की अगली कतार में खड़ी जातियां सर्वाधिक पिछड़े वर्गों का लाभ हड़प ले रही हैं। इससे सर्वाधिक पिछड़ों को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। लिहाजा ओबीसी में नए सिरे से श्रेणी बनाना जरूरी हो गया है।