
शिकायतकर्ता पारसनाथ चतुर्वेदी ने बताया कि वो शाउउमावि देवसर संकुल अर्न्तगत शा पूर्व मा देउहाडाड़ तहसील देवसर जिला सिंगरौली में अतिथि शिक्षक के पद पर कार्यरत था परंतु इस बार उसे नियुक्त नहीं किया गया एवं मैरिट सूची में 10वें नंबर पर दर्ज कृपाशंकर बैस को नियुक्त कर लिया गया। बैस नियमित रूप से स्कूल में पढ़ाने आ रहा है।
इस संदर्भ में जब नियुक्ति अधिकारी चंद्रप्रताप सिंह से बात की गई तो उन्होंने बताया कि पारसनाथ चतुर्वेदी के खिलाफ काफी शिकायतें थीं। वो नियमित नहीं थे, मनमानी करते थे इसलिए समिति ने उन्हें हटा दिया है। बिना डीएड/बीएड वाले अभ्यर्थी की नियुक्ति क्यों की गई, इस सवाल पर वो हड़बड़ा गए। उन्होंने अपना फोन एक साथी कर्मचारी को दे दिया, जिसने समझाने का प्रयास किया कि संकुल से मैरिट सूची बनकर आई थी जिसमें कृपाशंकर का नाम था। अत: उन्हें बुला लिया गया है। उन्होंने यह भी बताया कि इस तरह के आदेश डीईओ राजकिशोर की ओर से दिए गए हैं, लेकिन सवाल यह है कि बिना डीएड/बीएड का अभ्यर्थी मैरिट सूची में दर्ज ही कैसे हो गया। यदि हो गया तो उसे बुला क्यों लिया गया। क्या डीईओ खुद इस तरह की फर्जी नियुक्तियों को संरक्षण दे रहे हैं।