
उनका मानना है कि तोगड़िया ने खुद को प्रासंगिक बनाने के लिए ऐसा बयान दिया है जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। गौरतलब है कि तोगड़िया ने 70 फीसद गोरक्षकों पर सवाल उठाने और राज्यों को उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए जारी केंद्र सरकार के एडवाइजरी को हिंदू समुदाय के खिलाफ बताया था। संघ के प्रचार प्रमुख मनमोहन वैद्य ने कहा, "प्रधानमंत्री ने पहले ही दिन कहा था कि मुट्ठी भर लोग ऐसे हैं जो ताना बाना बिगाड़ रहे हैं। संघ का भी मानना है कि इसके लिए जो जिम्मेदार हैं उन पर कार्रवाई होनी चाहिए।"
जाहिर है कि संघ प्रधानमंत्री के वक्तव्य के साथ है। भाजपा के एक नेता ने भी प्रधानमंत्री की लाइन पर ही राज्यों से अपील की कि कोई कानून तोड़ता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई करना न सिर्फ राज्यों की जिम्मेदारी है बल्कि दायित्व भी है। ध्यान रहे कि पिछले कुछ वर्षों में नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रचार करते रहे उग्र स्वभाव और भाषा के तोगड़िया का संघ में वह असर नहीं है जो अशोक सिंघल का हुआ करता था।
सिंघल की मृत्यु के बाद से ही यह माना जाने लगा था कि परिवार में अब विहिप की साख थोड़ी कम होगी। इसका सबसे बड़ा कारण था स्वीकार्य नेतृत्व की कमी। एक नेता का मानना है कि तोगड़िया गोरक्षकों के बहाने अपने पुराने प्रभाव को पाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन इसमें उन्हें शायद ही परिवार का साथ मिलेगा।