नई दिल्ली। आगामी 2 सितम्बर को होने वाली कर्मचारी संगठनों की देशव्यापी हड़ताल को टालने की एक और सरकारी कोशिश नाकाम हो गई। इसके बाद मोदी सरकार के कुछ मंत्रियों ने इस विषय पर विस्तृत चर्चा की। श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने कल केंद्रीय श्रम संगठनों सीटीयू से कहा था कि वे हड़ताल के अपने फैसले पर पुनर्विचार करें। हालांकि, श्रम संगठनों ने आज यह कहते हुए आग्रह टाल दिया कि सरकार उनके 12 सूत्री मांगों पर ध्यान देने में नाकाम रही है।
दत्तात्रेय के पत्र का जवाब देते हुए एटक और सीटू ने कहा, ''मांगों पर स्थिति रपट लगभग वही है जो आपने साल भर पहले 2015 में हुई हड़ताल की पूर्व संध्या पर 26-27 अगस्त को केंद्रीय श्रम संगठनों के साथ हुई संयुक्त बैठक में जारी की थी।
श्रम संगठनों ने सरकार की यह कहते हुए आलोचना की कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिंसों के मूल्य नियंत्रण, सांविधिक रूप से मानदंडों के अनुरूप न्यूनतम वेतन तय करने और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में कोई ठोस पहल नहीं की गई है। इस बीच बिजली एवं कोयला मंत्री पीयूष गोयल और दत्तात्रेय ने आज विस्तृत परामर्श किया और प्रस्तावित देशव्यापी हड़ताल के संबंध में श्रम मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की।
गोयल और दत्तात्रेय श्रम मामलों पर वित्त मंत्री अरण जेटली की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय मंत्रियों की समिति का हिस्सा हैं जो केंद्रीय श्रम संगठनों के 12 सूत्री मांगों पर विचार कर रही है। समिति ने हाल ही में 16 अगस्त और 24 अगस्त को आरएसएस से संबद्ध भारतीय मजदूर संघ बीएमएस के साथ दो दौर की चर्चा की है। अन्य श्रम संगठनों ने इस विशिष्ट चर्चा की कड़ी आलोचना की है। समिति की सभी श्रमिक संगठनों के साथ पिछली बैठक 26-27 अगस्त 2015 को हुई थी।