कश्मीर: सबूतों का कठघरा और पाक की जुमलेबाजी

राकेश दुबे@प्रतिदिन। भारत पूरे कश्मीर पर बात करना चाहता है, पाकिस्तान सिर्फ मौजूदा कश्मीर। दोनों के इससे  उपजे आतंकवाद पर पहले ध्यान देना चाहिए। एनआइए यानी राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने एक पक्के सबूत के साथ इस तथ्य को दोहराया है। एनआइए ने लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी बहादुर अली के इकबालिया बयान का जो वीडियो गुरुवार को जारी किया वह बताता है कि कश्मीर के हालात बिगाड़ने में लश्कर ने किस तरह सोचे-समझे ढंग से काम किया। इसी साजिश के तहत कश्मीर में बहादुर अली की घुसपैठ कराई गई। उसकी गवाही से यह संकेत मिलता है कि घुसपैठ कराने में शायद पाकिस्तानी फौज के भी कुछ लोगों की मदद रही हो, क्योंकि सीमापार करते वक्त जब उसने भारतीय सैनिकों की गोलीबारी की चपेट में आने का डर जताया तो उसे ‘फायरिंग कवर’ का आश्वासन दिया गया था। वह किसी तरह सीमा पार कर गया। उसे पच्चीस जुलाई को पकड़ लिया गया।

अपनी गवाही में उसने बताया है कि हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर बुरहान वानी की मौत के बाद हो रहे विरोध-प्रदर्शनों को हिंसक टकराव का रूप देने के लिए उसे लश्कर के आकाओं से निर्देश मिला था। अल्फा-3 नामक गुप्त ‘नियंत्रण कक्ष’ ने उसे सुरक्षा बलों पर ग्रेनेड फेंकने को कहा। उसे यह भी बताया जाता रहा कि कब कहां जाना है और आगे किससे मिलना है। उसका हौसला बढ़ाते हुए उसे यह सूचित किया गया कि तनाव बढ़ाने के लिए लश्कर के कुछ अन्य आतंकी भी घाटी में पहुंच चुके हैं। बेशक यह वीडियो एनआइए की एक खास उपलब्धि है और आतंकवाद विरोधी रणनीति के अलावा कूटनीतिक नजरिए से भी इसकी अहमियत जाहिर है। भारत सरकार दुनिया के सामने पुख्ता दावे और मय प्रमाण के यह कह सकेगी, जैसा कि उसने कई बार कहा भी है, कि कश्मीर में कुछ समय से जारी बेहद असामान्य हालात के पीछे पाकिस्तान का हाथ है। इस सिलसिले में एनआइए और भी सबूत जुटाने में जुटी है।

यह कोई पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा करने लायक सबूत भारत ने पेश किए हों। नवंबर 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमले की बाबत काफी सारे सबूत पाकिस्तान को सौंपे गए। डेविड हेडली की गवाही से भी 26/11 के पीछे लश्कर का हाथ होने और हमलावरों को पाकिस्तान में प्रशिक्षण मिलने की बात सामने आ चुकी है। लेकिन इन सारे सबूतों के मद्देनजर पाकिस्तान इस तरह से पेश आया जैसे यह सब बेमतलब है। पठानकोट मामले में भी उसकी प्रतिक्रिया इसी तरह की रही। लिहाजा, ताजा वीडियो सामने आने के बाद भी, पाकिस्तान सच को स्वीकार करेगा या उसके रुख में कोई बदलाव आएगा, इसकी उम्मीद शायद नहीं की जा सकती। अलबत्ता इससे अंतरराष्ट्रीय बिरादरी के बीच पाकिस्तान के दुष्प्रचार की काट करने में जरूर मदद मिलेगी।
 श्री राकेश दुबे वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।        
संपर्क  9425022703        
rakeshdubeyrsa@gmail.com
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