खजुराहों में मिला ब्लैकस्टोन का दुर्लभ एवं प्राचीन शिवलिंग, सालों से बंद था

भोपाल। छतरपुर जिला स्थित विश्वप्रसिद्ध खजुराहों में एक दुर्लभ एवं प्राचीन शिवलिंग मिल है। यह शिवलिंग काले पत्थर का बना है। अजीब बात यह है कि मंदिर, शिवलिंग और नंदी के होते हुए भी यहां वर्षों से ताला लगा हुआ था। ताला किसने लगाया और क्यों लगाया गया यह पता नहीं चल पाया है। इसे प्रतापेश्वर शिव मंदिर कहा जाता है। 

परमार वंश के राजा प्रतापसिंह जूदेव द्वारा 18वीं शताब्दी में बनवाए गए प्रतापेश्वर मंदिर गेट पर लगे ताले को पत्रकार नीरज सोनी ने टटोला तो जर्जर हो चुके दरवाजे का एक हिस्सा अपने आप खुल गया। अंदर का नजारा चौंकाने वाला था। देखकर लगा कि शायद इस खाली मंदिर को पुरातत्व विभाग ने अपना स्टोर रूम बना लिया है लेकिन बोरियां हटाई गईं तो गर्भगृह के बाहर नंदी प्रतिमा दिखीं। अंदर जाने पर दुर्लभ शिवलिंग भी मिला। 

शिवलिंग का यह था हाल 
धूल व पाउडर से सने शिवलिंग पर पक्षियों की बीट पड़ी थी। चारों तरफ पिंक पाउडर की बोरियां शिवलिंग और नंदी के ऊपर ही रखी थीं। मकड़ी के बड़े-बड़े जाल के बीच यहां चमगादड़ों, कबूतरों का डेरा था। 60 वर्षीय डॉ. केएल पाठक बताते हैं कि इस मंदिर के अंदर कभी भी किसी को जाते नहीं देखा है। हमेशा से ही यहां ताला लगा देखते रहे हैं। गाइड सचिन दुबे बताते हैं कि प्रतापेश्वर मंदिर के अंदर अब तक किसी भी पर्यटक को नहीं ले जा पाए हैं। शुरू से ही इसे ताले में बंद रखा गया है। पर्यटन व्यवसाय से जुड़े नितिन जैन का कहना है कि उन्हें क्या खजुराहो के लोगों को भी यह पता नहीं होगा कि मंदिर के अंदर कोई मूर्ति भी है।

क्या थी मूर्तियों को छिपाने की वजह
सूत्र बताते हैं कि पहले ये मंदिर राज्य शासन के अधीन था लेकिन फिर ये एएसआई के पास चला गया। 40 साल पहले एएसआई के सहायक अधीक्षक ने मंदिर में पिंक पाउडर की बोरियां भरवा दी और उसपर ताला डाल दिया। तब से ये मंदिर बंद है। उन्होंने ऐसा क्यों किया इस राज से पर्दा नहीं उठ पाया है।

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