
साए की तरह रहते हैं साथ
नागों की फुंफकार से शाहेब आलम के पास कोई भटकने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। वह घर के बाहर चारपाई पर बैठकर अपना होमवर्क पूरा करता है और उसके नाग दोस्त भी उसके साथ बैठे रहते हैं, ये नाग तब तक मासूम बच्चे के साथ बैठे रहते हैं जब तक कि खुद वह इन नागों को जाने के लिए नहीं कहता।
पिता को भी है सापों से प्रेम
वहीं जहरीले नाग शाहेब आलम के सामने फन उठाकर फुंफकारते हैं ताकि उसके दोस्त के पास कोई भी आने से पहले इजाजत ले। उसके पिता भी सांपों के मसीहा के नाम से जाने जाते हैं, इलाके में कहीं भी जहरीला सांप निकलने की सूचना मिलती है तो शाहेब आलम और उसके पिता उस सांप को पकड़कर लाते हैं और अपने पास संरक्षित कर लेते हैं। पिता के सांपों के प्रति इस प्रेम को देखकर अब उनका बेटा भी सांपों से इस कदर प्रेम करने लगा है कि सोते, जागते, खेलते, पढ़ते और खाते वक्त भी जहरीले नाग शाहेब आलग के साथ रहते हैं।