बीईओ ने उपायुक्त के फर्जी अनुमोदन लगा अपने बेटे को नौकरी दे डाली

श्योपुर। सरकारी विभागों में घोटाले और फर्जीवाड़े को लेकर प्रदेश में चर्चित रहे श्योपुर जिले में दो कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति के मामले ने शिक्षा विभाग और आदिम जाति कल्याण विभाग में हड़कंप मचा दिया है, क्योंकि मामला बेहद हाई प्रोफाइल है।

दरअसल, आदिवासी विकास खंड कराहल के सिलपुरी और गोरस हाईस्कूल में दो लिपिकीय कर्मचारियों की फर्जी नियुक्ति संभागीय उपायुक्त के फर्जी अनुमोदन पत्र से की गयी है। शिकायतों के बाद मामले की जांच हुई, जिसमें नियुक्तियां तो फर्जी निकली ही, कारनामा करने वाले भी पूर्व और वर्तमान ब्लॉक शिक्षा अधिकारी पर भी शिकंजा कसता जा रहा है।

कराहल के पूर्व बीईओ केएन द्विवेदी ने आदिवासी तथा अनुसूचित जाति विकास विभाग के संभागीय उपायुक्त के फर्जी अनुमोदन पत्र से दोनों युवकों को नौकरी दे दी। जिन युवकों को नौकरी दी गई है उनमें से एक वर्तमान बीईओ प्रदीप श्रीवास्तव का बेटा अभिषेक श्रीवास्तव है जिसे सिलपुरी हाईस्कूल में बाबू बना दिया गया। दूसरा युवक गोरस स्कूल के एक शिक्षक का भांजा रोबिन सिंह है। जिसे गोरस स्कूल में ही लिपक बना दिया गया है। कलेक्टर ने जांच के बाद अभिषेक व रोबिन को सस्पेंड कर दिया है। लेकिन यह पता नहीं लगाया गया कि आखिर उपायुक्त का फर्जी हस्ताक्षर किसने बनाया?

बीईओ ने 8 माह तक बेटे को दी तनख्वाह
भले ही पूर्व बीईओ द्विवेदी ने अभिषेक या रोबिन सिंह की फर्जी नियुक्ति की हो, लेकिन वर्तमान बीईओ प्रदीप श्रीवास्तव ने भी अपने बेटे की फर्जी नियुक्ति को बचाने में पूरा दम लगा दिया। उन्होंने ही कलेक्टर को गलत जानकारी देकर भ्रमित किया, कि ये नौकरियां संभागीय उपायुक्त के निर्देश पर दी गई हैं, जबकि उपायुक्त ने ऐसा कोई अनुमोदन किया ही नहीं है। इतना ही नहीं करीब आठ महीने तक प्रदीप श्रीवास्तव फर्जी नौकरी होने के बाद भी अपने बेटे अभिषेक व रोबिन सिंह को तनख्वाह देते रहे। अभिषेक की भर्ती को लेकर एक युवक ने आरटीआई लगाई, जिसकी जानकारी भी बीईओ प्रदीप श्रीवास्तव ने नहीं दी। बताया गया है कि अभिषेक हाईकोर्ट से स्टे ले आया है। स्टे के दम पर बेटे अभिषेक को स्कूल में फिर से ज्वाइन कराने के लिए बीईओ प्रदीप ने सिलपुरी स्कूल के स्टॉफ को धमकियां तक दे डाली।

डीएम ने तलब किया तो पूर्व बीईओ का नाम ले दिया
संभागीय उपायुक्त के फर्जी पत्र का सच सामने आने के बाद कलेक्टर ने कराहल बीईओ प्रदीप श्रीवास्तव, सिलपुरी हाईस्कूल प्रिंसिपल और अभिषेक श्रीवास्तव को आदेश जारी किया कि वह 10 मई को कलेक्ट्रेट में उपस्थित होकर सच बताएं, कि यह नौकरी किसके आदेश पर और किसने दी है? 8 की जगह 10 मई को कराहल बीईओ श्रीवास्तव और स्थापना शाखा प्रभारी अनिल शर्मा कलेक्टर के सामने उपस्थित हुए। कलेक्टर के सामने खड़े बीईओ ने संभागीय आयुक्त के अनुमोदन पर अभिषेक की नौकरी की बात नकार दी, लेकिन कराहल के पूर्व बीईओ केएन द्विवेदी का नाम ले लिया कि द्विवेदी के अनुमोदन पर अभिषेक को लिपिक की नौकरी दी गई। इसके बाद कलेक्टर ने 12 मई 2016 को अभिषेक व रोबिन को सस्पेंड कर दिया।

दोषियों पर होगी कार्रवाई
कलेक्टर पन्नालाल सोलंकी का कहना है कि मामले की जांच में रोबिन सिह और अभिषेक की नियुक्ति नियम विरुद्ध पायी गयी है। उन्हें निलंबित कर दिया गया है। अब आगे की जांच कराई जा रही है, कि फर्जीवाड़ा किसने किया है। जो भी दोषी पाया जाएगा सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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