प्रमोशन में आरक्षण: शिवराज सिंह के खिलाफ अवमानना याचिका खारिज

जबलपुर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ अवमानना कार्रवाई की मांग संबंधी याचिका खारिज कर दी। याचिका शासकीय सेवकों की पदोन्नति में आरक्षण जारी रखे जाने संबंधी बयान को आधार बनाकर दायर की गई थी।

मंगलवार को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेन्द्र मेनन व जस्टिस अनुराग कुमार श्रीवास्तव की युगलपीठ के समक्ष मामला सुनवाई के लिए लगा। इस दौरान याचिकाकर्ता अरविन्द चौकसे ने अपना पक्ष स्वयं रखा। उन्होंने दलील दी कि हाईकोर्ट ने बाकायदे आरक्षण के आधार पर शासकीय सेवाओं में पदोन्नतियों को अवैध करार दिया। यह आदेश ऐतिहासिक रहा। इसके बावजूद मुख्यमंत्री ने सार्वजनिक तौर पर वोट बैंक की राजनीति करते हुए बयान जारी कर दिया। इसके तहत वादा किया गया कि हाईकोर्ट का फैसला चाहे कुछ भी हो लेकिन सरकार इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी। साथ ही सरकार का यह वादा भी है कि शासकीय सेवा में पदोन्नति पा चुके कर्मचारी-अधिकारी किसी तरह प्रभावित नहीं होंगे।

सस्ती लोकप्रियता पाने चले आए
हाईकोर्ट ने याचिका पर गौर करने के बाद दो-टूक लहजे में साफ किया कि इस तरह के मामले सस्ती लोकप्रियता हासिल करने की कवायद से अधिक और कुछ भी नहीं। ऐसा इसलिए भी क्योंकि याचिका सारहीन है, उसके किसी तरह के कोई ठोस तथ्य नदारद हैं।

सुप्रीम कोर्ट में लंबित है मामला
हाईकोर्ट ने अरविन्द चौकसे की याचिका इसलिए भी खारिज कर दी क्योंकि शासकीय सेवकों को पदोन्नति में आरक्षण किए जाने का मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Check Now
Accept !