
वारदात से गुस्साए दलितों ने इसकी शिकायत ठेकेदार से की है और कहा है कि वे अब गाय को वहीं सड़ने देंगे। जिसके बाद ठेकेदार ने नगर निगम में इसकी शिकायत की। नगर निगम ने ठेकेदार को उसके कर्मचारियों की सुरक्षा का भरोसा देते हुए थाने में शिकायत दर्ज कराई है।
इस बीच रिहाई मंच ने लखनऊ के तकरोही के चंदन गांव में मरी गाय को ले जा रहे दो दलित कर्मचारियों को अराजकतत्वों द्वारा मारने-पीटने की घटना को देश में हो रही दलित हिंसा का एक और ताजा उदाहरण बताया।
मंच ने कहा कि जिस तरीके से पिछले दिनों मैनपुरी में 15 रुपए के लिए दलित दंपत्ति भारत व ममता को अशोक मिश्रा द्वारा कुल्हाड़ी से मार डाला गया और अब राजधानी में दलितों पर हमला साफ करता है कि अखिलेश सरकार हत्यारे सामंतीतत्वों का खुला संरक्षण कर रही है।
रिहाई मंच नेता अमित मिश्रा व रिहाई मंच लखनऊ महासचिव शकील कुरैशी ने जारी बयान में कहा कि ऊना से लेकर लखनऊ तक में गाय के नाम पर दलितों के साथ जो हिंसा हो रही है वह स्पष्ट करता हैं कि पूरे देश में संघ परिवार सुनियोजित तरीके से दलितों पर हमले करवा रहा है। इस बीच रिहाई मंच ने मामले को लेकर बुधवार को धरने पर बैठने की घोषणा की है।
गौरतलब है कि मोहम्मद इलियास नाम के ठेकेदार के अंडर में 18 दलित काम करते हैं इन्हीं में से विद्यासागर और छोटे थे जो मरी गाय को उठाने गए थे। इलियास ने कहा कि जब दोनों गाय को उठाने गए तो गौरक्षक दल के लोगों ने गौहत्या के आरोप में उनकी पिटाई की और कहा कि अगर उन्होंने गाय को छुआ तो उन्हें जान से मार देंगे।