
वहीं दूसरी ओर यदि एम. शिक्षा मित्र के आदेश को गौर किया जाये तो पूरे आदेश में सिर्फ शिक्षक पदनाम ही उल्लेख है कहीं भी अध्यापक या पंचायत व स्थानीय निकाय के कर्मचारी शब्द का उल्लेख नहीं है। अब अध्यापक संतान पालन अवकाश की तर्ज पर इस आदेश को भी मानने से इंकार कर दिया है और अध्यापक अब एम शिक्षा मित्र का पालन करने के लिये जोर देने वाले अधिकारियों को लिखकर दे रहें हैं कि इस आदेश का पालन शिक्षकों से कराया जाये अध्यापकों से नहीं।
राज्य अध्यापक संघ ने इस बात पर गहरी नाराजगी व्यक्त की है सरकार लगातर अध्यापकों और शिक्षकों के बीच भेदभाव बढ़ा रही है हाल ही में अध्यापकों को अनुकम्पा नियुक्ति के बदले 1 लाख रूपये देने का आदेश किया है जबकि 2011 में ही चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी तक को अनुकम्पा के बदले 2 लाख का प्रावधान है अध्यापकों के लिये 2016 में यह राशि बढ़ाने के बजाय घटाकर दी जा रही है। आदेश की सख्त भाषा से तो यह भी लगता है कि 1-1 लाख रूपये देकर सारे अनुकम्पा नियुक्ति के प्रकरण निपटा दिये जायेंगें क्योंकि, पात्रता परीक्षा और बीएड व डी.एड न होने से लगभग सभी अनुकम्पा नियुक्ति के प्रकरणों में आश्रित शैक्षणिक रूप से अपात्र हैं।