दैवेभो को नियमितीकरण के नाम पर झुनझुना पकड़ाएगी सरकार

भोपाल। कर्मचारी नेताओं को संदेह है कि शिवराज सरकार दैनिक वेतन भोगियों के साथ न्याय नहीं करेगी। नियमितीकरण की घोषणा तो कर दी परंतु कर्मचारियों को वो सबकुछ नहीं मिलेगा जो नियमितीकरण के समय मिलना चाहिए। सरकार अब कुछ खानापूर्ति वाली कार्रवाई कर प्रमाणित कर देगी कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन हो गया है। 

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 15 अगस्त को लाल परेड मैदान से दैवेभो कर्मचारियों को रेगुलर करने की घोषणा की है। इससे पहले महासंघ की ओर से सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर कर दी गई थी। महासंघ के प्रांताध्यक्ष गोकुलचंद्र राय और उपाध्यक्ष राशिद खान का तर्क है कि अदालत के आदेश के मुताबिक इन कर्मचारियों को एरियर, मेडिकल, एचआरए, प्रमोशन, ग्रेच्युटी, एक्सग्रेसिया समेत अन्य सुविधाएं देना चाहिए। 

राय ने बताया कि हमने कोर्ट में रिव्यू पिटीशन दायर की है। जिसमें जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा 12 साल पहले आयोजित लोक अदालत में दिए आदेश को आधार बनाया है। इसमें दैवेभो कर्मचारियों और सरकार के बीच हुए समझौते का हवाला दिया गया है। उस वक्त दैवेभो के अध्यक्षीय मंडल के तत्कालीन उपाध्यक्ष एमडब्ल्यू सिद्दीकी ने कर्मचारियों की ओर से एडवोकेट जनरल आरएन सिंह ने सरकार की ओर से समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। हाईकोर्ट ने आदेश देते हुए कहा था कि दैवेभो को रेगुलर करने के लिए जब भी सरकार पॉलिसी बनाएंगी या नियमितीकरण करेगी तो इन कर्मचारियों को रेगुलर करना पड़ेगा। इस अधिकार से इन्हें वंचित नहीं रख सकते। संविधान के अनुच्छेद के तहत 137 के तहत सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर की गई है। 

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