
केस डायरी के अनुसार राजनांदगांव जिले के ओडारबाघ गांव निवासी शाम साय के पैर में 10-12 साल से गुठली थी। एक निजी अस्पताल में हुए उपचार का कोई फायदा नहीं होने पर उसने डोंगरगांव के आरक्षी केंद्र में पदस्थ नाथुनवागांव निवासी डॉ. गिरीश वैष्णव से संपर्क किया।
उसकी सलाह पर एक्स रे करवाया। 6 जून 2015 को डॉक्टर ने मरीज के घर जाकर उसकी गुठली का ऑपरेशन किया। उसके पैर से खून निकलना बंद नहीं हुआ। इससे मरीज की हालत गंभीर हो गई, जिसे देखते हुए संजीवनी एक्सप्रेस बुलाकर उसे राजनांदगांव जिला अस्पताल भेजा गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
इसके बाद मृतक की पत्नी ललिता बाई, बेटी रेशमी और बेटे योगेंद्र ने थाने में रिपोर्ट लिखाई और जिला उपभोक्ता फोरम में याचिका लगाई। सुनवाई के दौरान डॉक्टर ने मरीज का ऑपरेशन करने से इनकार कर दिया, लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर फोरम ने डॉक्टर पर 5 लाख रुपए जुर्माना किया था। इसे डॉक्टर ने आयोग में चुनौती दी थी।